जब न्यायालय में किसी व्यक्ति को केस फाइल करना होता है तब न्यायालय के कुछ औपचारिक नियम होते हैं। कुछ डॉक्यूमेंट सबमिट करने होते हैं। जिनको सबूत के रूप में तो आवश्यक नहीं माना जाता पर न्यायालय में एक सूची के रूप में दिया जाना आवश्यक होता है, जिसे कोर्ट की भाषा में फेहरिस्ट भी कहते हैं। जानते हैं क्या हैं इसके नियम:-
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 294 की परिभाषा
1. किसी पीड़ित व्यक्ति या आरोपी द्वारा न्यायालय के समक्ष कोई दस्तावेज फाइल किया जाना है वहाँ पर ऐसे सभी दस्तावेज एक सूची में सम्मिलित किये जाएंगे। अगर आरोपी पक्ष या पीड़ित पक्ष का कोई वकील होगा तो उसका प्रत्येक दस्तावेज अर्थात वकालत-नामा भी असली होगा आवश्यक है।
2. दस्तावेजों की सूची आर्थत फेहरिस्ट ऐसे प्रारूप में होगी जैसा राज्य शासन द्वारा निर्धारित किया गया हो।
3. अगर फेहरिस्ट में दस्तावेज असली होना प्रतीत है तब दस्तावेजों का हस्ताक्षरित आवश्यक नहीं है एवं वह हस्ताक्षर के बिना ही संहिता के अधीन किसी जाँच, विचारण, एवं अन्य कार्यवाही में साक्ष्य में पढ़े जा सकती है,लेकिन यह न्यायालय के विवेकानुसार होगा हस्ताक्षर का होना या न होना। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com