जब कोई मामला या वाद जाँच, विचारण या अन्य कार्यवाही पर चल रहा है और आरोपी ने पहले किसी प्रकार का अपराध किया था जिसमे पूर्व में उसे दोषसिद्ध या दोषमुक्त कर दिया गया है तब न्यायालय में किस आधार पर यह साबित किया जाना ठोस आधार होगा की वह पूर्व में दोषसिद्ध या दोषमुक्त व्यक्ति था जानिए।
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 298 की परिभाषा
अगर कोई व्यक्ति किसी अपराध में पहले से अपराधी था या उसे किसी आरोप में पहले दोषमुक्त या दोषसिद्ध कर दिया गया है तब इसे सबित करने के लिए निम्न कानूनी तरीके हैं:-
(क). ऐसी न्यायालय की दण्डादेश या आदेश, निर्णय की प्रतिलिपि जिस पर अभिरक्षा में रखने वाले अधिकारी के हस्ताक्षर द्वारा प्रमाणित हो।
(ख). दोषसिद्ध की दशा में जेलर का प्रमाण पत्र जो वहाँ के भारसाधक अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित हो या कोई जेल से भागा गया अपराधी या वारण्ट के बाद भागे अपराधी का सत्यापित वारण्ट।
आर्थत उपर्युक्त साक्ष्य अभिलेखों द्वारा पूर्व में किये गए अपराध के बारे में दोषसिद्ध या दोषमुक्त साबित की जा सकती है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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