जब कोई व्यक्ति किसी को गंभीर चोट पहुचाता है एवं मामला आईपीसी की धारा 325 एवं 326 के अंतर्गत कायम हो जाता है। एवं उसके तत्पश्चात मामले की सुनवाई न्यायालय द्वारा की जाती है। विचारण पूर्ण होने पर आरोपी व्यक्ति भारतीय दण्ड संहिता की धारा 326 के अंतर्गत दोषसिद्ध कर दिया जाता है। आरोपी को दोषसिद्ध होने के बाद अगर पीड़ित व्यक्ति की उसी घोर उपहति के कारण बाद में मृत्यु हो जाती है, तब क्या दोषसिद्ध अपराधी उस हत्या के अपराध के लिए भी दोषी होगा जानते हैं।
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 300 की उपधारा 03 की परिभाषा
जिस व्यक्ति को किसी ऐसे अपराध के लिए दोषसिद्ध ठहरा दिया गया है, जिसके अंतर्गत आगे कोई अन्य अपराध बनने की संभावना है। तब अगर दोषसिद्धि के बाद कोई अन्य अपराध उसी अपराध से बन जाता है तब उस नए अपराध के लिए उस व्यक्ति पर न्यायालय द्वारा पुनः विचारण किया जा सकता है।
आर्थत गंभीर चोट के दोषसिद्ध अपराधी पर पीड़ित व्यक्ति की इलाज के दौरान मृत्यु होने पर मानववध या हत्या के अपराध का विचारण किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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