आपराधिक मामलों में पीड़ित पक्ष को सरकार द्वारा लोक अभियोजक या सहायक लोक अभियोजक अर्थात सरकारी वकील दिए जाते हैं, जो पीड़ित पक्षकार की ओर से अभियोजन का संचालन करता है एवं उनका पक्ष न्यायालय के समक्ष रखता है। कई बार पीड़ित व्यक्ति प्राइवेट वकील नियुक्त करना चाहता है। आइए जानते हैं कि क्या क्रिमिनल केस में पीड़ित व्यक्ति को प्राइवेट वकील नियुक्त करने का अधिकार है या नहीं और क्या वह सरकारी वकील के स्थान पर प्राइवेट वकील को नियुक्त कर सकता है।
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 301 की परिभाषा
1. किसी भी मामले में लोक अभियोजक या सहायक लोक अभियोजक (सरकारी वकील) न्यायालय में बिना वकालतनामा के मामले की सुनवाई, बहस, जांच,अपील आदि पीड़ित पक्ष की और से प्रारंभ कर सकता है।
2. अगर पीड़ित पक्षकार को सरकारी वकील दिया गया है, इसके बावजूद वह कोई प्राइवेट वकील नियुक्त करना चाहता है तो कर सकता है परंतु उसके द्वारा नियुक्त किया गया प्राइवेट वकील, शासन द्वारा नियुक्त सरकारी वकील (लोक अभियोजक, सहायक लोक अभियोजक) के सहायक के रूप में कार्य करेगा। प्राइवेट वकील न्यायालय की अनुमति से मामले में साक्ष्य की समाप्ति पर लिखित रूप में तर्क पेश कर सकेगा।
सरल हिंदी में कहीं तो आपराधिक मामले में पीड़ित व्यक्ति प्राइवेट वकील नियुक्त करने के लिए स्वतंत्र है परंतु वह अपने केस से सरकारी वकील को हटा नहीं सकता। सरकारी वकील के स्थान पर प्राइवेट वकील को नियुक्त नहीं कर सकता। उसके द्वारा नियुक्त किया गया प्राइवेट वकील, शासन द्वारा निर्धारित सरकारी वकील के अधीन काम करेगा। न्यायालय में अभियोजन का संचालन सिर्फ सरकारी वकील द्वारा ही किया जाएगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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