जब कोई व्यक्ति कोई अपराध करता है तब पीड़ित व्यक्ति द्वारा अपराध करने वाले व्यक्ति पर आरोप लगाया जाता है एवं पीड़ित व्यक्ति का पक्ष अगर परिवाद से पृथक पुलिस रिपोर्ट में है तो इसका संचालन लोक अभियोजक या सहायक लोक अभियोजक या सरकारी वकील द्वारा किया जाता है। इनको न्यायालय से आज्ञा लेने की आवश्यकता नहीं होती है लेकर इनके अलावा किसी अन्य व्यक्ति को अभियोजन का संचालन करना है तो क्या प्रक्रिया होती है जानिए।
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 302 की परिभाषा
1. किसी भी मामलों की सुनवाई करने वाला मजिस्ट्रेट ऐसे पुलिस अधिकारी को जो इंस्पेक्टर की पंक्ति से नीचे का न हो, उसे अभियोजन के संचालन करने की आज्ञा दे सकता है लेकिन मजिस्ट्रेट उस पुलिस अधिकारी को दोषरोपण की कार्यवाही शुरू करने की आज्ञा (अनुमति) नहीं देगा जिसे किसी अपराध में आरोपी के अपराध का अन्वेषण किया था या भाग लिया था।
2. अपराध का अभियोजन की शुरुआत पक्षकार स्वंय भी कर सकता है या किसी प्राइवेट वकील द्वारा भी की जा सकती है।
साधारण शब्दों में कहे तो इस धारा का उद्देश्य यह है कि आरोपी व्यक्ति या पीड़ित पक्षकार अपनी पसंद के वकील द्वारा प्रतिरक्षा के लिए आरोपित अपराध की सुनवाई करवा करवा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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