यदि किसी व्यक्ति पर किसी भी प्रकार के अपराध का आरोप लग जाता है तो समाज में उसे संदेह की नजर से देखा जाता है परंतु न्यायिक व्यवस्था में उसके पति दया का भाव है। उसे न्याय पाने का अधिकार है और भारत की न्याय व्यवस्था उसकी मदद करती है ताकि यदि वह निर्दोष है तो स्वयं को प्रमाणित कर सके। इसी भावना के चलते आरोपी को अपने पसंद का वकील चुनने का अधिकार दिया गया है।
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 303 की परिभाषा
वह व्यक्ति जिसके विरुद्ध किसी अपराध का आरोप लगाया गया है एवं न्यायालय में उस पर लगें आरोपों के अपराध का विचारण हो रहा है तब वह आरोपी व्यक्ति दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 303 के अंतर्गत अपनी प्रतिरक्षा (बचाव) के लिए पसंद का वकील चुन सकता है एवं यह उसका कानूनी अधिकार है।
आरोपी को विधिक सहायता भी मिलती है
यदि आरोपी के पास वकील की फीस देने के लिए धन नहीं है तब सरकार की ओर से न्याय व्यवस्था के तहत उसे विधिक सहायता उपलब्ध कराई जाती है। न्यायालय में उसका पक्ष रखने के लिए एक वकील नियुक्त किया जाता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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