भोपाल। भारत सरकार के प्रवर्तन निदेशालय ने जल संसाधन विभाग मध्यप्रदेश शासन के 5 बड़े इंजीनियरों की पूरी कुंडली मांगी है। यह सभी इंजीनियर करोड़ों के घोटाले और मनी लेंडिंग के मामले में संदिग्ध बताए गए हैं। ED ने इनके बारे में जो भी जानकारी उपलब्ध है, सब मांगी है ताकि इनके भूतकाल का अध्ययन करने के बाद भविष्य का निर्धारण किया जा सके।
MP WRD के 5 इंजीनियर, बड़ी कार्रवाई की जद में
राजधानी भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार श्री मनोज तिवारी की एक रिपोर्ट के अनुसार ED ने जल संसाधन विभाग से पांच अभियंताओं (इंजीनियरों) राजीव कुमार सुकलीकर, शरद श्रीवास्तव, शिरीष मिश्रा, अरविंद उपमन्यु और प्रमोद कुमार शर्मा की संपत्ति का ब्योरा मांगा है। यहां उल्लेख करना अनिवार्य है कि हाल ही में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री की उप सचिव सौम्या चौरसिया को गिरफ्तार किया जा चुका है।
mp news- अगस्त 18 से फरवरी 19 तक की सिंचाई परियोजनाएं जांच की जद में
सूत्रों का कहना है कि प्रवर्तन निदेशालय अगस्त 2018 से लेकर फरवरी 2019 के बीच मध्य प्रदेश की सिंचाई परियोजनाओं के दस्तावेज खंगाल रहा है। इस अवधि में स्वीकृत बांदा बांध, हनोता बांध, वर्धा बांध, अन्य चार परियोजनाओं के कार्यों और भुगतान, प्रेशर पाइप कार्य इकाई और बांधों की नींव को पतला करने की जानकारी चाही है। ईडी ने सभी के पैन नंबर, नौकरी में कहां-कहां किन पदों पर पदस्थ रहे इसका भी ब्योरा मांगा है।
ED के टारगेट पर मध्य प्रदेश के 5 इंजीनियर कौन-कौन है
उल्लेखनीय है कि रतनगढ़, पेंच, पार्वती नदी से जुड़ी सिंचाई परियोजनाओं के निर्माण के लिए ठेकेदार राजू मेंटाना को एडवांस 887 करोड़ रुपये भुगतान करने के मामले में भी राजीव कुमार सुकलीकर संदिग्ध हैं। शासन इस मामले की जांच वर्ष 2019 से कर रही है पर अभी तक कोई रिपोर्ट नहीं आई है। इस बीच सुकलीकर सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं। वहीं प्रमोद कुमार शर्मा को हाल ही में सरकार ने नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण में सदस्य सचिव नियुक्त किया है। अरविंद उपमन्यु सागर में मुख्य अभियंता के प्रभार में हैं तो शिरीष मिश्रा जल संसाधन मुख्यालय में मुख्य अभियंता (खरीद) हैं। ये निविदा से संबंधित काम देखते हैं।
मेंटाना को कर दिया 887 करोड़ रुपये का एडवांस भुगतान
मध्य प्रदेश में सिंचाई संरचनाओं के निर्माण में वर्ष 2013 से सक्रिय मेंटाना कंस्ट्रक्शन कंपनी को जल संसाधन विभाग ने छिंदवाड़ा कांप्लेक्स का करीब 2000 करोड़ काम दिया था। पेंच व्यपवर्तन परियोजना सिवनी कैनाल के लिए 156 करोड़ रुपये सहित एक अन्य काम का ठेका दिया। इन कामों को शुरू करने के लिए कंपनी ने मशीनें खरीदने के लिए एडवांस राशि मांगी, तो विभाग ने 887 करोड़ रुपये एडवांस दे दिए। इसके बाद कंपनी ने काम नहीं किया।
रिटायर्ड आईएएस राधेश्याम जुलानिया का नाम भी आया था
यह मामला विधायक दिनेश राय मुनमुन ने विधानसभा में उठाया था। उन्होंने विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव राधेश्याम जुलानिया की भी घेराबंदी की थी। विधानसभा में मामला आने के बाद राजनीति गरमा गई और राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (इओडब्ल्यू) को जांच सौंपी गई थी।