भारत में यह बिल्कुल आम दृश्य है। यात्री बसों में लोग खड़े होकर सफर कर लेते हैं। ट्रेन में भी खड़े होकर सफर किया जाता है। लोगों का कहना होता है कि थोड़ी देर की तो बात है। घंटा दो घंटा में क्या फर्क पड़ता है। सवाल यह है कि क्या बस की तरह एयरबस यानी फ्लाइट बोले तो हवाई जहाज में भी खड़े होकर सफर किया जा सकता है। आइए पढ़ते हैं एक रोचक और मजेदार जानकारी:-
हवाई जहाज में भी यात्रियों को मुंबई की लोकल ट्रेन की तरह ले जाया जा सकता है
इस प्रश्न के उत्तर में कई लोग कह सकते हैं कि यह बिल्कुल असंभव है। हवा में तेजी से उड़ते हवाई जहाज में खड़े होकर सफर करना संभव नहीं है। खड़े होकर सफर करने से वायुयान का संतुलन बिगड़ जाएगा। हादसा होने का खतरा रहता है लेकिन ऑपरेशन सोलोमन की कहानी, इन सारे तथ्य और तर्क उनको गलत साबित करती है। इस ऑपरेशन के तहत 36 घंटे में 14325 नागरिकों ने हवाई जहाज में खड़े होकर सफर किया। किसी भी हवाई जहाज में यात्री बस या ट्रेन की तरह खड़े होकर सफर किया जा सकता है, कोई परेशानी नहीं होगी, किसी प्रकार का खतरा नहीं है बस एक समस्या रहेगी कि एयर होस्टेस ट्रॉली लेकर आपके लिए खानपान की वस्तुएं नहीं ला पाएंगी।
ऑपरेशन सोलोमन की कहानी
यह कहानी पूरी दुनिया के इतिहास में न केवल दर्ज है बल्कि अक्सर सुनाई जाती है। "ऑपरेशन सोलोमन" दिनांक 24 मई से शुरू हुआ और 25 मई 1991 को समाप्त हुआ। यह ऑपरेशन इजरायल की वायु सेना द्वारा संचालित किया गया था। इस ऑपरेशन के दौरान अल अल बोइंग 747, ने 36 घंटे में 14,325 इथियोपियाई यहूदियों को इज़राइल पहुँचाया। विमान ने ऑपरेशन की अवधि के दौरान नॉनस्टॉप उड़ान भरी।
इसी प्रक्रिया के दौरान विमान की सारी सीटें हटा दी गई थी। जैसे भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में किसी यात्री बस में यात्रियों को ठूंस ठूंसकर भर दिया जाता है ठीक उसी प्रकार बोइंग 747 विमान में यात्रियों को भरा जा रहा था। इनमें से एक फ्लाइट ऐसी थी जिसमें 1086 यात्री सवार हुए और 1088 यात्री उतरे (यात्रा के दौरान दो बच्चों का जन्म हुआ)।