इंदौर। मध्यप्रदेश के आम नागरिकों सरकार के आयुष विभाग के लिए गुड न्यूज़ है। बीमारियों से बचाव के लिए आयुर्वेद से संबंधित घरेलू उपाय के कारण इस बार लोग कम बीमार पड़ रहे हैं। सितंबर से नवंबर के बीच अंग्रेजी दवाओं की बिक्री में 10% की गिरावट दर्ज हुई है।
दवा बाजार के आंकड़े संक्षिप्त में पढ़िए
इंडिया केमिस्ट एसोसिएशन के अनुसार सितंबर में मध्यप्रदेश में करीब 562 करोड़ रुपए की दवाएं बिकीं, जो नवंबर में घटकर 520 करोड़ रुपए हो गई। गर्मी और बारिश की तुलना में इन दिनों जनरल ओपीडी भी 30 से 35 फीसदी तक कम हुई है। जनवरी तक यही स्थित रहने की उम्मीद है। एसोसिएशन ने बताया कि गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या में कमी नहीं हुई है लेकिन मौसमी बीमारी के मरीजों की संख्या में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है।
डॉक्टर अब भगवान हो गए प्रसन्न करना मुश्किल है
मनोविज्ञान के शिक्षक उमाकांत कश्यप का कहना है कि, इसके पीछे कोविड-19 सेकंड राउंड के दौरान अस्पतालों में मिली प्रताड़ना प्रमुख कारण है। मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने से पहले 5-5 लाख रुपए नगद जमा करवाए। चेक और RTGS मंजूर नहीं किया। फिर ज्यादातर मरीजों की मृत्यु भी हो गई। दरअसल एलोपैथिक इलाज अब इतना ज्यादा महंगा हो गया है कि मिडिल क्लास के लोगों को उसके सामने जिंदगी सस्ती लगने लगी है। इसीलिए लोगों ने डॉक्टर के पास जाना बंद कर दिया। आयुर्वेदिक उपाय अपना रहे हैं।
आईएमए इंदौर के अध्यक्ष डॉ. सुमित शुक्ला कब बयान भी इस बात का समर्थन करता है। डॉक्टर शुक्ला का कहना है कि, कोरोना महामारी के बाद लोग स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हुए हैं। पोष्टिक खान-पान के साथ व्यायाम पर भी ध्यान दे रहे हैं। सामान्य सर्दी- खांसी या इन्फेक्शन को भी गंभीरता से लेते हैं।