Bank check अर्थात धनादेश, एक बेहद महत्वपूर्ण बैंक दस्तावेज है। कानून कहता है कि जिसने चेक पर हस्ताक्षर किए है वह भुगतान के लिए उत्तरदाई है और यदि चेक बाउंस हो जाता है तो उसकी संपत्ति की कुर्की नीलामी करके चेक की रकम का भुगतान किया जाएगा, लेकिन यदि किसी व्यक्ति की डेली इनकम ₹100 मात्र है और उसके पास कोई प्रॉपर्टी भी नहीं है। ऐसे व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षर किया हुआ ₹100000 का चेक बाउंस हो जाए, तब कोर्ट क्या करेगा। आइए पढ़ते हैं एक महत्वपूर्ण जजमेंट:-
मैनुद्दीन अब्दुल सत्तार शेख बनाम विजय डी साल्वी (निर्णय वर्ष 2015)
उक्त मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा यह अभिनिर्धारित किया गया कि यदि चैक वैयक्तिक क्षमता या हैसियत अनुसार दिया गया है तो चैक देने वाला व्यक्ति उसके लिए उत्तरदायी होगा। अर्थात यदि किसी व्यक्ति ने हैसियत के बाहर बैंक चेक दे दिया है और वह बाउंस हो जाता है, तब वह व्यक्ति उसके लिए उत्तरदाई नहीं होगा।
सरल शब्दों में कहें तो यदि चेक देने वाला व्यक्ति रोज के ₹100 कमाता है। उसके पास कोई संपत्ति नहीं है और वह ₹100000 का चेक किसी व्यवहार के चलते देता है और दूसरा व्यक्ति यह जानते हुए कि उसके पास ना तो कोई प्रॉपर्टी है और ना ही उसकी कमाई है, फिर भी चेक को स्वीकार कर लेता है तो बाउंस होने की स्थिति में चेक पर हस्ताक्षर करने वाला दंड का भागी नहीं होगा।
परक्राम्य लिखत अधिनियम,1881 की धारा 138 की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति ऐसे बैक खाते का चैक किसी व्यक्ति, संस्था, कम्पनी को देता है जिसके बैंक खाते में उतनी रकम नहीं है जितनी चैक पर अंकित की हुई थी, तब ऐसा व्यक्ति चैक अनादर आर्थत चैक बाउंस का दोषी होगा, एवं प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में इस अपराध का परिवाद दायर होगा।
✍️ लेखक बीआर अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665