न्यायालय में जब किसी व्यक्ति के खिलाफ प्रकरण प्रस्तुत होता है तब वह व्यक्ति स्वयं प्रत्यक्ष रूप से परीक्षा के लिए उपस्थित होता है और वकील के माध्यम से अपनी प्रतिरक्षा करता है लेकिन यदि किसी कंपनी, संस्था, सहकारी संस्था, निगम, रजिस्ट्रीकृत सोसायटी आदि के खिलाफ कोई केस प्रस्तुत होता है तो कोर्ट में कौन हाजिर होगा और उस केस की सुनवाई किस प्रकार आगे बढ़ेगी। आइए पढ़ते हैं इस प्रश्न का उत्तर:-
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 305 की परिभाषा
अगर किसी व्यक्ति द्वारा किसी कंपनी, निगम, सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम,1860 के अंतर्गत कोई भी रजिस्ट्रीकृत सोसायटी आदि पर अपराध का आरोप लगाया गया है, तब उपर्युक्त संस्था न्यायालय में अपराध के विचारण (सुनवाई) के समय अपने किसी प्रतिनिधि व्यक्ति को हाजिर कर सकता है एवं वही प्रतिनिधि व्यक्ति कंपनी, निगम उपर्युक्त आदि संस्था की और से परीक्षा देगा।
कंपनी, संस्था, सोसायटी आदि की और से गए प्रतिनिधि व्यक्ति की न्यायालय परीक्षा लेगा, आरोपों को बताएगा एवं बचाव के लिए उचित अवसर प्रदान करेगा। कम्पनी, निगम आदि का प्रबंधक या संचालक कम्पनी की और से चाहे जिसको भी कम्पनी का प्रतिनिधि बनाकर भेज सकता है।
नोट:- एक बात यहाँ ध्यान रहे कंपनी, सोसायटी, संस्था आदि का प्रतिनिधि व्यक्ति न तो आरोपी है न ही आरोप सिद्ध होने के बाद अपराधी होगा। वह सिर्फ कम्पनी के बचाव के लिए अपना पक्ष रखता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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