यदि किसी संतानहीन महिला के पति की मृत्यु हो जाए तब हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम,1956 की धारा 8 में बताया गया है कि प्रथम सूची के अनुसार मृत व्यक्ति की संपत्ति की हकदार उसके पुत्र एवं पुत्रियां होते हैं। अगर वह संतानहीन था तो उसकी संपत्ति की हकदार उसकी विधवा पत्नी होती है। सवाल यह है कि क्या विधवा पत्नी पति से प्राप्त हुई संपत्ति उसके भाई के लड़के को दे सकती है? जानते हैं सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय।
खुशी राम और अन्य बनाम नवल सिंह और अन्य (निर्णय वर्ष 2020):-
उक्त मामले में में उच्चतम न्यायालय द्वारा अभिनिर्धारित किया गया कि कोई भी हिन्दू विधवा महिला अपने पति के हिस्से की संपत्ति जो उसे उत्तराधिकार के अंतर्गत प्राप्त हुई है, वह अपने भाई के पुत्रों को दे सकती है क्योंकि ऐसे व्यक्ति हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम,1956 की धारा 15(1) (घ) के अंतर्गत विधवा महिला के विधिक उत्तराधिकारी हो सकते हैं एवं यह अपरिचित नहीं माने जा सकती है।
मामले का सार:-
उक्त मामले में आपत्तिकर्ता ने आपत्ति लगाई थी की विधवा महिला की संपत्ति पति के वारिस को प्राप्त हो क्योंकि उक्त अधिनियम की धारा 15 के अनुसार हिन्दू महिला की संपत्ति उत्तराधिकार के नियम के अनुसार
(क). उसके पुत्र/पुत्रियों एवं पति को।
(ख). पति के वारिसों को
(ग). माता पिता को।
(घ). पिता के वारिसों को।
(ङ). माता के वारिसों को।
क्रम के अनुसार विधवा संन्तान हीन महिला की संपत्ति पर पति के वारिसों का अधिकार होगा न की महिला के भाई के पुत्रों का लेकिन उच्चतम न्यायालय द्वारा मार्गदर्शन निर्णय 1. काले एवं अन्य बनाम उपनिदेशक चकबन्दी (निर्णय वर्ष 1976).
2. रामचरन दास बनाम गिरजानंदिनी देवी और अन्य (निर्णय वर्ष 1965)।
में न्यायालय द्वारा स्पष्ट किया गया था कि महिला उत्तराधिकारी संबंधित संपत्ति के अधिकार में अपीलों में मेरिट नहीं देखी जाती है अर्थात महिला स्वयं की इच्छा से अपने किसी भी विधिक उत्तराधिकारी को अपने पति की संपत्ति दे सकती है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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