जब कोई परिवाद या मामला न्यायालय के समक्ष आता है तब फरियादी के बाद साक्षियों के बयान होना होता है। कभी-कभी साक्षी न्यायालय में उपस्थित नहीं हो पाता या आने में देरी कर देता है। तब क्या मजिस्ट्रेट इस आधार पर मामले को खारिज कर सकता है। जानिए सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय।
हरबीर सिंह बनाम शीशपाल (निर्णय वर्ष 2016):-
उक्त मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा अभिनिर्धारित किया गया कि गवाह के बयान दर्ज करने में देरी होने से यह जरूरी नहीं कि गवाहों की गवाही को खारिज कर दिया जाए या मामले को खारिज कर दिया जाए। न्यायालय ऐसे गवाहों पर भरोसा कर सकती हैं यदि उनके बयान ठोस और विश्वसनीय है और विलंब के कारण को न्यायालय की संतुष्टि के लिए स्पष्टीकरण कर दिया हो।
सरल शब्दों में कहें तो किसी भी मामले के एक गवाह महत्वपूर्ण होता है परंतु यदि वह समय पर उपस्थित नहीं होता तो केवल कारण से उसकी गवाही को निरस्त नहीं किया जा सकता और ना ही गवाह की अनुपस्थिति के कारण मामले को खारिज किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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