ग्वालियर। मध्यप्रदेश में अनारक्षित वर्ग के शासकीय सेवकों को नियमानुसार प्रमोशन से संबंधित हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को होल्ड पर रहने के लिए कहा है। सरकार ने हाईकोर्ट के संभावित फैसले से घबराकर हाई कोर्ट की अवमानना करने वाले कुछ अधिकारियों के बचाव में सुप्रीम कोर्ट में शरण ली है।
मध्यप्रदेश में सामान्य वर्ग को प्रमोशन- पढ़िए मामला क्या है
सामान्य वर्ग के डॉक्टरों द्वारा हाईकोर्ट में एक याचिका प्रस्तुत की गई थी। दलील दी गई थी कि मध्यप्रदेश में केवल आरक्षित पदों पर प्रमोशन को लेकर विवाद है। इसके बावजूद सरकार ने अनारक्षित पदों पर भी प्रमोशन रोक रखा है। जो अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ अन्याय है। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के तर्क से सहमत होते हुए शासन को निर्देशित किया कि वह याचिकाकर्ताओं को नियमानुसार प्रमोशन प्रदान करें।
वरिष्ठ अधिकारियों को सजा सुनाने वाला था हाईकोर्ट
मध्यप्रदेश शासन द्वारा हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ के आदेश का पालन नहीं किया गया। याचिकाकर्ताओं की ओर से हाई कोर्ट की अवमानना की याचिका प्रस्तुत की गई। इस याचिका की सुनवाई के दौरान दिनांक 5 दिसंबर 2022 को हाईकोर्ट ने आदेश जारी किया था कि दिनांक 13 दिसंबर 2022 तक याचिकाकर्ताओं को नियमानुसार प्रमोशन प्रदान करें और डिपार्टमेंट के सभी प्रमुख अधिकारी हाईकोर्ट में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हो। हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि शासन के वरिष्ठ अधिकारी हाई कोर्ट की अवमानना के मामले में सजाया जुर्माने के लिए तैयार रहें।
हाईकोर्ट ने अधिकारियों को सजा सुनाने की तारीख बदली
इसी से घबराकर हाई कोर्ट की अवमानना के दोषी अधिकारियों ने लामबंदी की और मध्यप्रदेश शासन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में निवेदन किया है कि हाई कोर्ट की कार्रवाई से बचाएं। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को निर्देशित किया है कि मामले की अगली सुनवाई दिनांक 4 जनवरी 2023 तक अधिकारियों की सजा को होल्ड कर दिया जाए। हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार अधिकारियों को सजा सुनाने की तारीख 9 जनवरी 2023 निर्धारित कर दी है।