भोपाल। मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 60 लाख निर्धन विद्यार्थियों की यूनिफार्म की फाइल स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों के घर में दबी पड़ी है। सूत्रों का कहना है कि गणवेश के मामले में अधिकारियों को वह नहीं मिल पा रहा है जो वह चाहते हैं। इसलिए मामला अधर में लटका हुआ है। अधिकारी किसी भी प्रकार का समझौता करने के लिए तैयार नहीं है, भले ही पूरा शिक्षासत्र क्यों न बीत जाए।
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में यूनिफॉर्म का वितरण क्यों नहीं हुआ, पढ़िए
मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 60 लाख से ज्यादा निर्धन विद्यार्थियों को यूनिफॉर्म दी जानी है। सरकार की तरफ से बजट की कोई प्रॉब्लम नहीं है लेकिन जिन के हस्ताक्षर से सब कुछ होना है, उनको बड़ी प्रॉब्लम है। विभागों के वरिष्ठ अधिकारी जिन्हें शासन कहा जाता है, बार-बार पेटर्न चेंज कर रहे हैं। पहले यूनिफॉर्म बाजार से खरीद कर बच्चों को दी जाती थी। फिर बच्चों के अकाउंट में डायरेक्ट फंड ट्रांसफर किया जाने लगा। पिछली बार स्व सहायता समूह से यूनिफॉर्म सिल्वाकर बच्चों को दी गई थी। अब अधिकारियों का कहना है कि पिछले साल वाली क्वालिटी सही नहीं थी।
समस्या क्या है, यूनिफॉर्म की क्वालिटी या अधिकारियों की लेटलतीफी
यहां बड़ा प्रश्न है कि मूल समस्या कहां पर है, यूनिफॉर्म की क्वालिटी या अधिकारियों की लेटलतीफी। यदि बात क्वालिटी की होती तो जब पिछली बार खराब क्वालिटी की यूनिफॉर्म का वितरण हुआ था तब खराब क्वालिटी की यूनिफार्म सप्लाई करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की गई होती और शिक्षा सत्र शुरू होने से पहले अच्छी क्वालिटी की सप्लाई करने वाले स्व सहायता समूह को ढूंढ लिया जाता। यदि कोई अधिकारी पिछले सप्लायर पर खराब क्वालिटी का आरोप लगाए परंतु उसके खिलाफ कार्रवाई ना करें, तब क्या कहेंगे आप।