भोपाल। मध्य प्रदेश के दमोह में वरिष्ठ नेता जयंत मलैया के अमृत महोत्सव के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने पार्टी की ओर से दोनों हाथ जोड़कर जयंत मलैया से माफी मांगी। इस घटनाक्रम के बाद मध्यप्रदेश की तमाम पॉलिटिकल राउंड टेबल पर ग्रुप डिस्कशन शुरू हो गया है। सवाल सिर्फ एक है कि भाजपा ने जयंत मलैया के सामने घुटने क्यों टेके।
कैलाश विजयवर्गीय के बयान ने सबको चौंका दिया
श्री कैलाश विजयवर्गीय इंदौर के दिग्गज नेता हैं। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी की मध्यप्रदेश इकाई के ना तो प्रभारी हैं और ना ही प्रतिनिधित्व का अधिकार रखते हैं। पार्टी ने उन्हें अमृत महोत्सव में अपना प्रतिनिधि बनाकर नहीं भेजा था। फिर क्या कारण है कि कैलाश विजयवर्गीय ने अचानक भरे मंच से इस प्रकार का बयान दिया। समर्थकों का कहना है कि कैलाश विजयवर्गीय बिना बैकअप के इस तरह का बयान नहीं दे सकते।
अमृत महोत्सव में ज्यादातर पुत्र मोही भाजपा नेता शामिल हुए थे
यह बिंदु की चर्चा का विषय रहा है। जयंत मलैया के अमृत महोत्सव में भारतीय जनता पार्टी के ज्यादातर ऐसे नेता शामिल हुए थे जो अपने निर्वाचन क्षेत्र को अपनी पॉलिटिकल प्रॉपर्टी मानते हैं और अपनी संतानों को उत्तराधिकारी घोषित करके उन्हें सपना चाहते हैं। कुछ तो ऐसे नेता भी हैं जो अपने साथ अपनी संतान को चुनाव लड़ाना चाहते हैं। हालांकि कई नेता अपने रिश्तेदारों को नगर निगम, नगर पालिका, जनपद पंचायत और जिला पंचायतों में चुनाव जिता चुके हैं।
जयंत मलैया को नोटिस किसने दिया था, जिसके लिए माफी मांगी
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने जिस नोटिस के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगी है वह नोटिस जिला संगठन की रिपोर्ट और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल द्वारा उठाए गए मुद्दों के आधार पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश संगठन महामंत्री सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं की सहमति के बाद जारी हुआ था। बताया जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का इस घटनाक्रम से कोई व्यक्तिगत संबंध नहीं था। दूसरी मुख्य बात यह है कि नोटिस 2 महीने बाद ही वापस ले लिया गया था। फिर अब जाकर माफी मांगने की क्या जरूरत थी।