जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव, लोक शिक्षण संचालनालय के कमिश्नर और मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल के चेयरमैन को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है। मामला शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में रिक्त पदों पर EWS उम्मीदवारों की नियुक्ति का है।
मध्य प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा क्वालीफाई कर चुके इंदौर, ग्वालियर, मंदसौर, दमोह, पन्ना, सिवनी, छिंदवाड़ा, सीहोर, रतलाम, नीमच, शाजापुर, अनूपपुर और सीधी जिले के उम्मीदवारों ने संयुक्त रूप से एक याचिका प्रस्तुत की है जिसमें बताया गया है कि उन्होंने EWS कैटेगरी में माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा 2019 क्वालीफाई कर ली है। शासन द्वारा सभी सरकारी स्कूलों में पदस्थापना हेतु कुल 17000 वैकेंसी ओपन की गई थी। भर्ती प्रक्रिया में EWS आरक्षण का प्रावधान किया गया था परंतु अभी तक EWS कैटेगरी के उम्मीदवारों को नियुक्ति नहीं दी गई है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता श्री आदित्य संघी ने उच्च न्यायालय को बताया कि सामान्य, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग की नियुक्ति के बाद 8760 पद खाली है। याचिकाकर्ताओं ने स्कूल शिक्षा विभाग को कई बार अभ्यावेदन दिया परंतु कोई सुनवाई नहीं हुई। अधिवक्ता श्री आदित्य संघी ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय को बताया कि राजनीतिक फायदे के लिए रिक्त पदों पर दूसरी श्रेणी के आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को नियुक्ति दी जा रही है।
याचिकाकर्ता का पक्ष सुनने के बाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस श्री रवि मलिक व जस्टिस श्री विशाल मिश्रा की डबल बेंच ने स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव, लोक शिक्षण संचालनालय के कमिश्नर और मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल के चेयरमैन को नोटिस जारी करके, उपरोक्त विषय में उनका जवाब मांगा है।