MADHYA PRADESH PUBLIC SERVICE COMMISSION द्वारा ओबीसी आरक्षण विवाद के चलते रिजल्ट का जो नया फार्मूला 87-13 अपनाया गया है। कैंडिडेट द्वारा उसे भी रिजेक्ट कर दिया गया। हाई कोर्ट में चैलेंज किया गया है। हाईकोर्ट इंदौर बेंच ने नोटिस जारी कर दिया है। मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग को 6 दिसंबर को जवाब पेश करना है।
MPPSC के हर फैसले को कोई ना कोई चैलेंज क्यों करता है
मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग कहने को तो भारत के संविधान के द्वारा स्थापित एक संवैधानिक निकाय है परंतु व्यवहारिक तौर पर सामान्य प्रशासन विभाग मध्यप्रदेश शासन की एक शाखा के रूप में काम करता है। हर परीक्षा के बाद संभावित उत्तर कुंजी जारी की जाती है। दावे और आपत्तियां आमंत्रित किए जाते हैं परंतु हर नियम बदलने के पहले संभावित नियम पुस्तिका जारी नहीं की जाती। कोई दावे और आपत्तियां आमंत्रित नहीं किए जाते। बस नियम लागू कर दिए जाते हैं। नतीजा वही होता है जो होता रहा है। हर फैसला हाईकोर्ट में होता है।
अब क्या नवीन फार्मूले पर घोषित MPPSC के रिजल्ट निरस्त हो जाएंगे
हर परीक्षा परिणाम के साथ मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा हाई कोर्ट में कैविएट दाखिल की जाती है। इसका फायदा यह होता है कि हाई कोर्ट तत्काल कुछ भी स्थगित नहीं करता। याचिका प्रस्तुत हुई। उसे विचार के योग्य माना गया। अब एमपीपीएससी से जवाब मांगा गया है। यदि संतोषजनक जवाब नहीं दिया तो सारी प्रक्रिया इस याचिका के फैसले के अधीन हो जाएगी या फिर प्रक्रिया को स्थगित भी किया जा सकता है। कृपया यहां क्लिक करके हमारा टेलीग्राम चैनल अवश्य सब्सक्राइब करें क्योंकि वहां पर कुछ ऐसे अपडेट भी मिलते हैं जो वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं किए जाते।