जबलपुर। हाई कोर्ट ने शासकीय बीमा कंपनी की गलती सामने आने के साथ ही उसकी अपील 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए निरस्त कर दी। यह राशि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, भोपाल में जमा करनी होगी। यदि 30 दिनों के भीतर राशि जमा नहीं की गई तो प्राधिकरण बीमा कंपनी की राजस्व भूमि के जरिये वसूली सुनिश्चित करने स्वतंत्र होगा। वहीं बीमा कंपनी जुर्माना राशि की वसूली संबंधित दोषी से करने भी स्वतंत्र होगी। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
General Insurance- अशोकनगर के हरनाम सिंह एक्सीडेंट का मामला
न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। अनावेदक अशोक नगर निवासी ललिता बाई की ओर से अधिवक्ता नितिन गुप्ता ने पक्ष रखा। उन्होंने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय को बताया कि अनावेदिका के पति हरनाम सिंह की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। जिसके बाद मामला ट्रायल कोर्ट पहुंचा। वहां शासकीय ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी की ओर से आवेदन दिया गया कि पुलिस के जांच अधिकारी की गवाही करानी है। कुछ समय बाद आश्चर्यजनक तरीके से बीमा कंपनी ने ही दूसरा आवेदन दायर कर पहला आवेदन वापस लेने का निवेदन किया। तर्क दिया गया कि इस मामले में पुलिस के जांच अधिकारी की गवाही नहीं करानी।
ओरिएंटल इंश्योरेंस ने हाई कोर्ट में अपील की थी
ट्रायल कोर्ट ने अर्जी मंजूर कर ली। जिसके बाद ट्रायल कोर्ट ने अनावेदिका के हक में 14 लाख, 500 रुपये मुआवजा राशि दिये जाने का आदेश पारित कर दिया। जिसके विरुद्ध बीमा कंपनी अपील में हाई कोर्ट चली आई। यहां गुमराह करते हुये दलील दी जा रही है कि अज्ञात वाहन से टक्कर की वजह से मृत्यु के मामले में कंपनी को जबरन घसीटा गया है। जबकि वस्तुस्थिति यह है कि कंपनी पूर्व में ट्रायल कोर्ट में आवेदन दायर कर चुकी है।
ओरिएंटल इंश्योरेंस की अपील खारिज, जुर्माना लगा
हाई कोर्ट ने शासकीय बीमा कंपनी की गलती सामने आने के साथ ही उसकी अपील 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए निरस्त कर दी। यह राशि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, भोपाल में जमा करनी होगी। यदि 30 दिनों के भीतर राशि जमा नहीं की गई तो प्राधिकरण बीमा कंपनी की राजस्व भूमि के जरिये वसूली सुनिश्चित करने स्वतंत्र होगा। वहीं बीमा कंपनी जुर्माना राशि की वसूली संबंधित दोषी से करने भी स्वतंत्र होगी।