डेनमार्क की प्राचीन और दूसरी सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी कोपनहेगन विश्वविद्यालय ने एक रिसर्च के बाद दावा किया है कि मंगल ग्रह पर पृथ्वी से पहले जीवन हुआ करता था और वहां पर भी प्रलय आई थी। कोपनहेगन विश्वविद्यालय डेनमार्क का प्रतिष्ठित शोध संस्थान है।
4.5 अरब साल पहले मंगल ग्रह पर जीवन था
कोपनहेगन विश्वविद्यालय की टीम ने अपनी रिसर्च रिपोर्ट सार्वजनिक की है। उन्होंने दावा किया है कि करीब 4.5 अरब साल पहले मंगल ग्रह पर जीवन प्रारंभ हुआ था। अपनी रिपोर्ट में उन्होंने बताया है कि किस प्रकार वहां जीवन के लिए अनुकूल वातावरण हुआ करता था। उन्होंने यह भी बताया है कि मंगल ग्रह पर महासागर हुआ करता था और एक समय ऐसा प्रलय आया जिसमें मंगल ग्रह से जीवन समाप्त हो गया।
मंगल ग्रह पर सैंपल कलेक्शन हो रहा है, नया खुलासा होगा: NASA
मंगल ग्रह से संबंधित एक अन्य समाचार NASA (नैशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन, संयुक्त राज्य अमेरिका सरकार की अंतरिक्ष में खोज करने वाली एजेंसी) की ओर से आ रहा है। नासा ने खुलासा किया है कि रोबोटिक एक्सप्लोरर अपने सैंपल ट्यूबों को जेजेरो क्रेटर से समेटना शुरू कर देगा। ये प्रक्रिया लगभग एक महीने में पूरी हो जाएगी। 10 टाइटेनियम ट्यूबों में ये सैंपल जमा किए जा रहे हैं जिसमें विभिन्न प्रकारण की चट्टानें शामिल हैं। जल्द ही Perseverance Rover की वापसी का सफर शुरू होगा, उससे पहले सैंपल लेने की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
एलन मस्क का मंगल अभियान कहां तक पहुंचा
मंगल ग्रह से संबंधित तीसरी खबर दुनिया के सबसे रईस आदमी एलन मस्क के घर से आ रही है। बीबीसी के एक पत्रकार ज़ो क्लेनमैन ने दावा किया है कि मंगल ग्रह को उपनिवेश बनाने का सपना देखने वाले एलन मस्क ट्विटर के टंटों में उलझ कर रह गए हैं। एलन मस्क ने कहा था कि मंगल के आत्मनिर्भर होने से पहले सभ्यता के पतन को रोकना जरूरी है। 2013 तक स्पेसएक्स में एलन मस्क के साथ 6 साल तक काम कर चुकीं उद्यमी डॉली सिंह का मानना है कि, यह चुनौती एलन मस्क के अनुमान से कहीं ज्यादा कठिन साबित हो रही है। इसमें काफी समय लगेगा।