ग्वालियर। 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू किया गया यह बात तो सभी को पता है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि भारतीय संविधान की हाथ से लिखी गई ओरिजिनल कॉपी दिल्ली नहीं बल्कि ग्वालियर में रखी हुई है। यह बताना जरूरी है कि उस समय भारतीय संविधान की केवल 16 प्रतियां हाथ से लिखी गई थी।
सन 1950 में ग्वालियर को सौंपी गई थी संविधान की रक्षा की जिम्मेदारी
संविधान की 16 मूल प्रतियों में से एक प्रति ग्वालियर के केंद्रीय पुस्तकालय में सुरक्षित रखी गई है। संविधान की इस प्रति को बहुत ही दुर्लभ माना जाता है। इसके पीछे बड़ी रोचक कहानी भी है। 1950 में जब भारत का संविधान तैयार हुआ था, उस संविधान की मूल प्रति की एक कॉपी ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में रखी हुई है। संविधान की इस प्रति में देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सहित संविधान सभा के सदस्यों के हस्ताक्षर हैं। संविधान लागू होने के समय देशभर में कुल 16 मूल प्रतियां जारी की गई थीं, भारत सरकार ने एक मूल प्रति ग्वालियर भेजी थी क्योंकि ग्वालियर में सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त थे। आज भी कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ़ इंडिया की ओरिजिनल कॉपी की सुरक्षा उतनी ही जिम्मेदारी से की जाती है।
4 साल तक खराब नहीं होगा भारतीय संविधान की किताब का कागज
संविधान की यह मूल प्रति पूरी तरह से हस्तलिखित है। लाइब्रेरी प्रबंधक विवेक सोनी ने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व तक इस किताब को छूकर व इसके पन्नों को पलट कर देखा जा सकता था लेकिन किसी कारण के चलते अब इसे बड़ी स्क्रीन पर डिजिटल रूप में दिखाया जाता है। बताया जाता है कि इस किताब को लिखने के लिए जिस कागज का प्रयोग किया गया है, उसे 1000 वर्ष तक भी सुरक्षित रखा जा सकता है।
साथ ही इस पर लिखें अक्षरों को पढ़ा जा सकता है। किताब के अंदर विभिन्न नियमों व कर्तव्यों को समझाने के लिए कई प्रकार के चित्रों का भी प्रयोग किया गया है। आपको बता दें यूं तो यह किताब साल के महज 3 दिन ही बाहर आती है लेकिन डिजिटल होने के बाद अब इस किताब को आप साल भर में कभी भी बड़ी स्क्रीन पर देख सकते हैं।
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