MEDWIN HOSPITAL BHOPAL के डॉक्टर ताबिश और डॉक्टर दिलशाद के खिलाफ निशातपुरा पुलिस थाने में आईपीसी की धारा 304 ए के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया है। मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल ने अपनी इन्वेस्टिगेशन में पाया कि ट्रीटमेंट की मॉनिटरिंग प्रॉपर नहीं हुई थी जिसके कारण महिला मरीज की मृत्यु हो गई।
BHOPAL TODAY- पीपुल्स हॉस्पिटल के डॉक्टर ने स्पष्ट ओपिनियन नहीं दिया
जानकारी के मुताबिक, जनता नगर फेस-3 निवासी अनिल मालवीय ने 18 जनवरी 2022 शाम 6 बजे अपनी बहन अंकिता मालवीय (30) को सीने में दर्द होने से हाउसिंग बोर्ड करोंद स्थित मेडविन अस्पताल में एडमिट कराया। ड्यूटी में मौजूद डॉक्टर ताबिश और दिलशाद ने उसे एनीमिया, एन्ट्रिक फीवर से ग्रस्त बताया। दोनों ने उपचार शुरू कर ब्लड चढ़ाया। अगले रोज 19 जनवरी को डेढ़ बजे अंकिता की मौत हो गई। परिवार वालों ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया। इसी विवाद के बीच अंकिता का पोस्टमार्टम पीपुल्स हॉस्पिटल में किया गया। डॉक्टर रंजन पाराशर ने पीएम रिपोर्ट में स्पष्ट ओपिनियन नहीं दिया बल्कि विसरा की रासायनिक जांच, हार्ट प्रिजर्व कर हिस्टोपैथोलाजिकल जांच परीक्षण कराने के लिए लिखा।
डॉक्टर की लापरवाही का पता लगाने की प्रक्रिया
पीएम के बाद पुलिस ने प्रिजर्व विसरा का रासायनिक परीक्षण FSL भदभदा भेजा। जिसमें वैज्ञानिक अधिकारी एफएसएल ने अपनी रिपोर्ट में आर्टीकल में रसायनिक पॉयजन होना नहीं पाया। पीएम रिपोर्ट में ऑपीनियन रिपोर्ट न देने से पोस्टमार्टम डॉक्टर से पीएम की क्यूरी करायी गयी। जिसमें डाक्टर रंजन ने मृत्यु का कारण खून ट्रांसफ्यूजन के रियेक्शन से होना पाया।
इसके बाद पुलिस ने मध्यप्रदेश मेडिकल काउंसिल को अंकिता की मृत्यु की सभी जांच रिपोर्ट, दस्तावेज भेजे। काउंसिल ने श्याम शाह चिकित्सा महाविद्यालय रीवा के डॉक्टरों की तीन सदस्यी टीम डॉक्टर पीके बघेल, डा. हर्षवर्धन खुशालराव खरतडे, डा. संतोष सिंह से जांच कराई। उन्होंने जांच रिपोर्ट सौंपी। इसमें डॉक्टरों की लापरवाही पाए जाने पर मामला दर्ज किया गया।
इस पूरी प्रक्रिया में 1 साल का समय लगा। ध्यान देने वाली बात है कि मामला दर्ज करने के बाद भी पुलिस को अब तक यह नहीं पता कि दोनों डॉक्टरों की डिग्री क्या है। उनके पास मरीज का इलाज करने का लाइसेंस है भी या नहीं।