भारत में ज्यादातर लोग खासकर कामकाजी महिलाएं सिर दर्द शुरू होते ही दर्द की गोली खा लेती हैं। शायद वह चाहती हैं कि कामकाज के दौरान कोई उन्हें कमजोर ना समझे, लेकिन कई बार पेन किलर टेबलेट लेने के बाद भी सिर दर्द खत्म नहीं होता। आइए किसी स्पेशलिस्ट से पूछते हैं कि ऐसा क्यों होता है।
महिला कर्मचारियों को सबसे ज्यादा किस प्रकार का सिर दर्द होता है
डॉक्टर निशा सचदेवा बताती हैं कि, सिरदर्द कई प्रकार का होता है। सबसे आम सिर दर्द होता है टेंशन हेडेक। जैसा कि नाम से स्पष्ट है यह सिरदर्द तनाव के कारण पैदा होता है। इसमें पूरा सिर दर्द करता है। जैसे सिर के ऊपर हेलमेट कस गया हो। पुरुष कर्मचारी ऐसी स्थिति में अपनी कुर्सी से उठ कर चले जाते हैं और थोड़ी देर बाद काम पर वापस लौटते हैं परंतु महिलाएं सिर दर्द की टेबलेट निकालकर निगल जाती हैं लेकिन फिर भी सिर दर्द खत्म नहीं होता।
माइग्रेन के शुरुआती लक्षण
महिलाओं को कई बार माइग्रेन की शिकायत होती है। माइग्रेन से पहले शरीर में थकावट होने लगती है। आंखों के सामने धुंध सी छाने लगती है। कुछ लोगों की आंखों में रोशनी चमकने लगती है। कुल मिलाकर नजर असामान्य हो जाती है। माइग्रेन का दर्द सिर के एक हिस्से में होता है। जैसे वहां पर कोई ठोक रहा हो।
टेंशन हेडेक से पैदा होने वाली बीमारियां
तनाव से होने वाला सिरदर्द अपने आप में कोई बीमारी नहीं है परंतु इसके कारण बहुत सारी बीमारियां पैदा हो जाती है। कुछ लोगों को नींद आना बंद हो जाती है। कुछ लोगों का पेट खराब हो जाता है। पाचन शक्ति गड़बड़ हो जाती है। मांसपेशियों में गड़बड़ी हो जाती है। पीठ और पैर का दर्द शुरू हो जाता है। बात बात में गुस्सा करने वाले लोग या फिर बिना बजे रोने वाली महिलाएं टेंशन हेडेक का शिकार होती हैं।
GK IN HINDI- एक ऐसी बीमारी जो अस्पताल नहीं घर जाने से ठीक होती है
टेंशन हेडेक को किसी दवाई से ठीक नहीं किया जा सकता क्योंकि यह बीमारी ही नहीं है। इसको दूर करने के लिए शरीर में खुशी पैदा करने वाला डोपामाइन हार्मोन रिलीज करवाना पड़ता है। इसके लिए पानी पीना होगा, थोड़ी देर खुली हवा में टहलने जाना चाहिए। थोड़ी सी फिजिकल एक्सरसाइज कीजिए और किसी ऐसे व्यक्ति को स्पर्श कीजिए जिसके साथ आप खुद को प्रोटेक्ट या फिर रिस्पांसिबल फील करती हैं अर्थात माता-पिता, भाई-बहन, पति-पत्नी और बच्चे, हैप्पी फैमिली। अब समझ आया, टेंशन हेडेक एक ऐसी बीमारी है जिसमें मरीज को अस्पताल नहीं घर जाना चाहिए।
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