कुछ लोगों की आदत होती है, वह काफी फास्ट बोलते हैं। ऐसी स्थिति में लोगों की अक्सर प्रतिक्रिया होती है कि आधी से ज्यादा बात तो सिर के ऊपर से निकल गई, समझ ही नहीं आई। सवाल यह है कि जब कोई तेज गति से बोलता है तो हम उतनी ही तेज गति से उसे सुन क्यों नहीं पाते। समझ क्यों नहीं पाते। आइए इसके पीछे के विज्ञान का पता लगाने की कोशिश करते हैं:-
ध्वनि यानी साउंड के कितने माध्यम होते हैं
ध्वनि यानी साउंड (Sound) को तो हम सब जानते ही हैं। यह एक प्रकार की तरंगे होती हैं, जिनको चलने के लिए माध्यम (Medium - Solid, Liquid, Gas) की आवश्यकता होती है। ध्वनि तरंगों की चाल माध्यम के घनत्व (Density) पर निर्भर करती है। ध्वनि की चाल सबसे ज्यादा ठोस में, फिर तरल में और फिर गैस में होती है। अर्थात ठोस पदार्थ में साउंड की स्पीड सबसे तेज होती है, फिर लिक्विड में और गैस यानी हवा में साउंड की स्पीड सबसे कम होती है।
आवाज को कान से दिमाग तक पहुंचने में कितना समय लगता है
मनुष्य का शरीर प्रकृति में मौजूद सभी चीजों की तुलना में इंजीनियरिंग का सबसे बेहतरीन उदाहरण है। यह फुली ऑटोमेटिक है और इसका सिस्टम और सेंसर सबसे बेहतरीन है। ध्वनि यानी साउंड को सुनने के लिए कान बनाए गए हैं जबकि समझने के लिए मनुष्य के पास दिमाग है। किसी भी आवाज को कानो से दिमाग तक पहुंचने के लिए 1/10 सेकंड का समय लगता है। इतनी देर में दिमाग आवाज को पहचान भी लेता है और उसके शब्द को समझ भी लेता है। इसके बाद दिमाग कान को आदेश देता है कि वह अगली आवाज सुने।
अब समझ गए कि लोग तेजी से बोलने वालों की बात क्यों नहीं समझ पाते
अब यदि कोई व्यक्ति 1/10 सेकंड से अधिक स्पीड से बोलता है तो उसकी आवाज हमारे कानों से टकराती तो है परंतु कान उसे रिसीव नहीं करते इसलिए वह आवाज दिमाग तक नहीं पहुंच पाती और हमें समझ में नहीं आती। यही कारण है कि जब कोई तेज गति से बोलता है तो उसके कुछ शब्द सुनाई देते हैं और कुछ नहीं सुनाई देते अर्थात समझ में नहीं आते। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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