पानी का असली रंग क्या होता है, वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण रिसर्च रिपोर्ट सरल हिंदी में यहां पढ़िए - GK Today

Bhopal Samachar
गहरे समुद्र की ओर देखें तो उसमें भरे पानी का रंग नीला दिखाई देता है लेकिन यदि गांव के तालाब की तरफ देखें तो पानी का रंग हरा सा दिखाई देता है। कभी-कभी पानी का रंग हल्का लाल भी दिखाई देता है। सवाल यह है कि पानी का असली रंग क्या होता है। आइए पता लगाते हैं:- 

रसायन विज्ञान के अनुसार पानी का रंग 

छत्रपति शाहूजी महाराज कानपुर यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट अनिल अग्निहोत्री बताते हैं कि, पानी के रंग का रहस्य उसके फार्मूले में छुपा है। किसी पदार्थ का रंग, गंध एवं स्वाद उस पदार्थ के pH या pOH पर निर्भर करता है। यानी कि जल अपघटन के पश्चात H+ आयन की मात्रा कितनी है या OH- आयन की मात्रा कितनी है, इस बात पर निर्भर करता है।
  • यदि हाइड्रोजन आयन की मात्रा यानी उसकी सांद्रता ज्यादा है तो उसका स्वाद खट्टा होता है। 
  • यदि OH- आयन की सांद्रता ज्यादा है तो उसका स्वाद कड़वा होता है। 
  • यदि हाइड्रोजन आयन और OH- आयन की सांद्रता बराबर है तो वह पदार्थ स्वादहीन होता है।
✔ पानी का फार्मूला है H2O = H+ + OH- इस प्रकार जल के अणु में एक H+ और एक OH- होता है जिसके कारण ही जल स्वादहीन, रंगहीन एवं गंधहीन होता है। 

पानी का असली रंग क्या है - What is the real color of water? 

पानी के अणु (H₂O) लंबे तरंग दैर्ध्य वाले रंगों (जैसे लाल और पीला) को अवशोषित करते हैं, जबकि छोटे तरंग दैर्ध्य वाले रंग (जैसे नीला) अधिकतर परावर्तित या प्रकीर्णित होते हैं। यही कारण है कि पानी का असली रंग हल्का नीला होता है। जब पानी की मोटी परत (जैसे समुद्र) पर प्रकाश पड़ता है, तो यह नीला रंग स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। 

शुद्ध पानी का परीक्षण (Scientific Testing)

वैज्ञानिक शोधकर्ताओं ने प्रयोगशालाओं में शुद्ध पानी का परीक्षण किया है। एलेक्सजेंडर फ्रॉन्सियस और जेम्स ट्यूरटन ने बताया कि शुद्ध पानी में नीला रंग उसके भौतिक गुणों का परिणाम है, न कि अशुद्धियों का। उनके अध्ययन में पाया गया कि पानी का रंग उसकी गहराई और प्रकाश की तीव्रता के अनुसार हल्के से गहरे नीले तक हो सकता है। 

पानी का रंग गहराई पर निर्भर करता है

समुद्र और झीलें: गहरे समुद्र और झीलों में पानी अधिक नीला दिखाई देता है, क्योंकि वहां प्रकाश की अधिकतर लाल और पीली तरंगें अवशोषित हो जाती हैं। तालाब इत्यादि उथले पानी में नीला रंग हल्का दिखता है, क्योंकि सतह से प्रकाश अधिक मात्रा में परावर्तित होता है। यदि तालाब के आसपास हरि वृक्ष लगे हुए हैं तो पानी में हल्का हरा रंग परावर्तित होता है। 

पानी के रंगों पर अशुद्धियों का प्रभाव

यदि पानी में मिट्टी, शैवाल, या अन्य कण मौजूद हों, तो यह अलग-अलग रंगों (हरा, भूरा, या ग्रे) का दिखाई दे सकता है लेकिन अशुद्धियों को हटा देने पर पानी का प्राकृतिक रंग नीला ही रहेगा। 

पानी के रंग के निर्धारण का आधार क्या है 

NASA ने भी अपने शोध में बताया है कि पृथ्वी पर समुद्र और अन्य जलाशयों का नीला रंग उनकी गहराई और पानी की प्रकाश अवशोषण क्षमता से संबंधित है। शोध पत्र:-
“Absorption and Scattering of Light by Water Molecules” (By B.H. Armstrong, 1968)
“Color of Water: A Review of Physical and Chemical Properties” (Journal of Chemical Education, 1995).

पानी के रंग के बारे में रोचक तथ्य

ग्लेशियर और बर्फ की गुफाएं भी अंदर से नीली दिखती हैं। यह भी पानी के अणुओं की प्रकाश अवशोषण प्रक्रिया का ही परिणाम है। 

पानी के रंग के बारे में पहला विस्तृत और सटीक वैज्ञानिक अध्ययन

पानी का असली रंग हल्का नीला (Light Blue) होता है। इसका कारण वैज्ञानिक रूप से प्रकाश के अवशोषण और प्रकीर्णन की प्रक्रिया से जुड़ा है। पानी के रंग पर पहला विस्तृत और सटीक वैज्ञानिक अध्ययन 19वीं शताब्दी में हुआ था।

पानी के असली रंग का अध्ययन

वैज्ञानिक का नाम: जॉन टिंडल (John Tyndall) - जॉन टिंडल ने 1859 में प्रकाश और उसके प्रकीर्णन (scattering) पर काम किया। उन्होंने यह बताया कि पानी लाल और पीले रंग की तरंगों को अवशोषित करता है और नीले रंग को प्रकीर्णित करता है। यद्यपि टिंडल के शोध का मुख्य उद्देश्य आकाश के नीले रंग को समझाना था, उन्होंने पानी के हल्के नीले रंग के लिए भी समान प्रक्रिया का सिद्धांत दिया।
गहराई से अध्ययन: 1960 और 1970 के दशक में, वैज्ञानिकों ने पानी के रंग पर आधुनिक उपकरणों का उपयोग करके और अधिक शोध किया।
B.H. Armstrong और W. S. Pegau ने पानी के अणुओं के प्रकाश अवशोषण और प्रकीर्णन का अध्ययन किया।

पानी के रंग के बारे में महत्वपूर्ण शोध और तिथियां

1859 – जॉन टिंडल का प्रकाश का प्रकीर्णन सिद्धांत
उन्होंने बताया कि पानी का हल्का नीला रंग उसकी भौतिक संरचना और प्रकाश के साथ उसकी क्रिया के कारण है। 

1920 – सी. वी. रमन का रमन प्रभाव
भारतीय वैज्ञानिक सी. वी. रमन ने "रमन प्रभाव" के तहत दिखाया कि पानी का नीला रंग प्रकाश के तरंग दैर्ध्य पर निर्भर करता है। इस खोज ने प्रकाश और रंग के वैज्ञानिक अध्ययन में क्रांति ला दी।

1960 – B.H. Armstrong और अन्य वैज्ञानिकों का आधुनिक अध्ययन
उन्होंने पानी की प्रकाश अवशोषण विशेषताओं को गहराई से मापा और निष्कर्ष निकाला कि पानी का असली रंग हल्का नीला है।

2000 के बाद – नासा और आधुनिक शोध
नासा के वैज्ञानिकों ने सैटेलाइट और स्पेक्ट्रोमीटर का उपयोग करके समुद्र और पानी के रंग पर और अधिक सटीक अध्ययन किया। 

पानी का असली रंग कैसा होता है - निष्कर्ष

पानी का असली रंग हल्का नीला है। इसका वैज्ञानिक अध्ययन जॉन टिंडल ने 1859 में शुरू किया था। आधुनिक युग में 1960 और बाद में नासा और अन्य वैज्ञानिक संस्थानों ने इस पर गहन अध्ययन किया।

महत्वपूर्ण संदर्भ:
John Tyndall, On the Blue Colour of the Sky and the Polarization of Skylight, 1859
B.H. Armstrong, Absorption of Light by Water Molecules, 1968
NASA, Why Is the Ocean Blue?, 2001
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