जबलपुर। मध्य प्रदेश के शहडोल कलेक्टर की नाराजगी के चलते 10 साल से अपने पद पर ईमानदारी से काम करने वाली महिला संविदा कर्मचारी की सेवा समाप्त कर दी गई। कलेक्टर भी इसलिए नाराज हो गए थे क्योंकि महिला कर्मचारी अपना रुका हुआ वेतन भागने के लिए बार-बार उनके समक्ष निवेदन कर रही थी। हाईकोर्ट ने सेवा समाप्ति का आदेश स्थगित करते हुए जवाब तलब किया है और महिला संविदा कर्मचारी का रुका हुआ वेतन जारी करने के आदेश दिए हैं।
SHAHDOL NEWS- संविदा कर्मचारी की बिना वजह सेवा समाप्त
मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के लिए शहडोल, मध्यप्रदेश में पदस्थ महिला संविदा कर्मचारी गायत्री सिंह धुर्वे ने न्याय की प्रत्याशा में उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की है। याचिकाकर्ता के अधिकृत अधिवक्ता गोपाल सिंह बघेल ने हाईकोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता शहडोल जिले के गोहपारू पंचायत में मनरेगा के तहत संविदा डाटा इंट्री ऑपरेटर पद पर तैनात थीं। पहले वह कार्यालय जिला पंचायत शहडोल में वर्ष 2012 से वर्ष 2022 तक कार्यरत थीं। राज्य शासन के आदेशानुसार याचिकाकर्ता को जनपद पंचायत में वर्ष 2022 में नियुक्ति दी गई थी।
गायत्री सिंह को पिछले 5-6 माह से वेतन नहीं दिया जा रहा था। वेतन मांगने के लिए महिला संविदा कर्मचारी कलेक्टर शहडोल के समक्ष प्रस्तुत हुई और आवेदन दिया। इसके बाद भी वेतन नहीं मिला तो महिला संविदा कर्मचारी ने कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत होकर फिर से आवेदन दिया। बार-बार आवेदन प्रस्तुत करने से कलेक्टर नाराज हो गए और महिला संविदा कर्मचारी को वेतन भुगतान करने की बजाय उनकी सेवा समाप्त कर दी। सेवा समाप्ति से पूर्व उन्हें कोई कारण बताओ नोटिस भी नहीं दिया गया। ना तो सेवा समाप्ति का कारण बताया गया और ना ही अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर दिया गया।
जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने महिला संविदा कर्मचारी की सेवा समाप्ति के आदेश को स्थगित करते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करके जवाब तलब किया है और याचिकाकर्ता को वेतन का भुगतान करने के निर्देश दिए हैं।
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