INDIA NEWS TODAY- थ्री इडियट्स का असली रेंचो आपकी सेहत के लिए -20 डिग्री लद्दाख में अनशन पर बैठा है

Bhopal Samachar
जब आप और हम पठान फिल्म के बॉयकोट का समर्थन या विरोध कर रहे हैं, बीबीसी की किसी डॉक्युमेंट्री की राजनीति, शेयर बाजार का भविष्य समझ रहे हैं, या फिर रज़ाई लपेट कर बढ़ती सर्दी का रोना रो रहे हैं, ठीक तब, लद्दाख में एक शख़्स पिघलते ग्लेशियरों की तरफ हम सबका ध्यान खींचने के लिए -20 डिग्री सेल्सियस की ठंड में खुले आसमान के नीचे अनशन कर रहा है। जी हाँ, बात हो रही है थ्री इडियट्स वाले असल ज़िंदगी के रेंचो की।यहां ध्यान दिलाना जरूरी है कि यदि ग्लेशियर को नुकसान हुआ तो पूरे भारत को नुकसान होगा। हर नागरिक का जनजीवन प्रभावित हो जाएगा और फिर दुनिया की किसी भी मशीन से दोबारा ग्लेशियर नहीं बनाया जा सकेगा।

-20 डिग्री तापमान में खुले आसमान के नीचे अनशन 

भारत के महान वैज्ञानिक, शिक्षाविद, और पर्यावरणविद सोनम वांगचुक पिछले कुछ दिनों से -20 डिग्री तापमान में खुले आसमान के नीचे लेट कर अनशन कर रहे हैं। रेमोन मेगासेसे अवार्ड से सम्मानित सोनम ने इसे #climatefast या जलवायु उपवास का नाम दिया है। एक वीडियो संदेश के ज़रिये वो कहते हैं, “मुझे नज़रबंद कर दिया गया है। मैं तो शांति से अनशन करना चाह रहा था। प्रशासन शायद नहीं चाहता मैं अनशन करूँ. मैंने वकीलों से बात की तो उन्होनें कहा कि आप अनशन कर कोई कानून नहीं तोड़ रहे।” 

वो आगे बताते हैं कि वो छत पर हैं क्योंकि सड़कों पर रास्ता रोक दिया गया है और उन्हें खारदुंगला तक जाने की अनुमति नहीं दी गई है। इन अड़चनों के चलते सोनम ने अपने संस्थान, हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ आल्टरनेटिव लद्दाख, या हियाल, के कैंपस में खुले में ही अनशन शुरू कर दिया है। 

थ्री ईडियट्स के असली रैंचो सोनम वांगचुक की प्रमुख मांग

अपनी मुख्य मांग रखते हुए सोनम कहते हैं, “लद्दाख को अगर बचाना है तो फ़ौरन कुछ करना होगा। पर्यावरण की दृष्टि से लद्दाख बेहद महत्वपूर्ण है। प्रधान मंत्री जी से हमारी मांग है कि वो इसका संज्ञान लें। स्थिति कि गंभीरता बताते हुए वांगचुक कहते हैं कि लद्दाख और हिमालय के संरक्षण में ही भारत की सुरक्षा है। वो कहते हैं, “यहाँ के ग्लेशियर पिघल रहे हैं। 

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