अभी हाल ही मे बहुप्रतीक्षित प्रकरण डीएलएड V/S बीएड प्रकरण की सुनवाई माननीय उच्चतम न्यायालय मे पूरी हुई है जिसका फैसला माननीय न्यायालय द्वारा सुरक्षित रख लिया गया है। जिसमें आगामी शुक्रवार तक माननीय न्यायालय मे सभी पक्षों को अपने दस्तावेज जमा करने है उसके बाद माननीय न्यायालय द्वारा उनका अवलोकन किया जायेगा तदुपरांत सुरक्षित किये गये फैसले का आदेश जारी किया जायेगा जिसके बाद यह स्पष्ट हो जायेगा कि प्राथमिक शिक्षक चयन मे बीएड शामिल रहेगा अथवा नहीं हालांकि अपने पूर्व के कई निर्णयों मे विभिन्न उच्च न्यायालयों द्वारा बीएड को उच्च शिक्षा के लिए बताकर बीएड को प्राथमिक से बाहर किया जा चुका है।
यदि नियमित भर्ती होती तो अभ्यर्थियों में टकराव नहीं होता
हांलाकि ये तय है कि माननीय उच्च न्यायालय हमेशा सर्वजनहिताय सर्वजनसुखाय करने वाला आदेश जारी करेगा डीएलएड VS बीएड मे एक बात तय है कि दोनों ही शिक्षक बनने का प्रयास कर रहें है और म.प्र मे प्राथमिक शिक्षक भर्ती मे सरकारी लेट लतीफी से चयन प्रक्रिया 11 वर्ष बाद शुरू होने से व प्रकरण के कोर्ट मे आने के बाद सोशल मीडिया मे अभ्यार्थियों के बीच तीखी नोंक झोंक और अमर्यादित संभाषण भी हो जाता है हांलाकि अगर सरकार सही समय पर सही ढंग से मध्यप्रदेश में शिक्षक भर्ती सभी पदों पर करती जाती तो यह देखने को नहीं मिलता क्योंकि कोई भी बीएड प्राथमिक शिक्षक बनने नहीं करता वो तो जब वहां पद कम व ज्यादा प्रतिस्पर्धा है तब वे प्राथमिक मे चयन का प्रयास कर रहें है।
डीएलएड के पक्ष जो उसे मजबूत बनाते है-
1. आरटीई एक्ट 2009 की धारा के सेक्शन 23(2 ) के अनुसार बीएड को केवल विशेष परिस्तिथियों मे प्राथमिक शिक्षा मे मान्य किया जायेगा जब डीएलएड अभ्यार्थी उपलब्ध न हों।
2. डीएलएड अभ्यार्थियों के पास न्यूनतम योग्यता है जो कि छोटी प्राथमिक कक्षाओं मे अध्यापन के लिए आवश्यक है जो कि बीएड के पास नहीं है बिना ब्रिज कोर्स को कंपलीट किये।
3. डीएलएड अभ्यार्थी कक्षा 1 से 5 तक अध्यापन हेतु पूर्णत: योग्य है बिना किसी ब्रिज कोर्स केे वे इनके अध्यापन हेतु कुशल है।
4. एनसीटीई द्वारा बीएड को 28 जून 2018 के गजट मे शामिल कर लिया गया बिना किसी प्रयास, बिना किसी सर्वे, बिना किसी संवैधानिक निकाय एवं संस्था से कंसल्ट किये।
5. माननीय उच्च न्यायालय जोधपुर की डिवीजन बेंच द्वारा एनसीटीई की गाइड लाइन को बीएड के मुद्दे पर गैरकानूनन बताया जा चुका है।
6. केंद्रीय मंत्रालय द्वारा बीएड को प्राथमिक शिक्षक भर्ती मे शामिल करने की सिफारिश 2012 में की गई थी जो कि 5 साल के लिए थी। 2017 में इसकी मियाद खत्म हो गई परंतु 2018 मे एनसीटीई इसे अपने अवैधानिक गजट से प्राथमिक शिक्षक भर्ती मे बिना राज्यों का सर्वे एवं सलाह के डीएलएड अभ्यार्थियों की उपलब्धता की जांच किए, बीएड को लागू कर देती है वो भी एक केद्रीय मंत्री की सिफारिश पर जो कि अवैधानिक है।
जब डीएलएड अभ्यार्थी पर्याप्त मात्रा मे उपलब्ध है तो क्यों हम प्राथमिक शिक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहे है वैसे भी शासकीय विधालयों की दशा खराब है ऐसे मे जो अभ्यार्थी प्राथमिक के छात्रों को पढ़ाने मे पारंगत है हम उसकी अवहेलना कर बीएड अभ्यार्थी को क्यों मौका दे रहे है।
8. मध्यप्रदेश में बीएड की बात करें तो कुछ विश्वविद्यालय 1 वर्ष का बीएड कराते थे कुछ दो वर्ष का। अब एनसीटीई ने किसे प्राथमिक शिक्षक हेतु उपयुक्त माना है ये भी मध्य प्रदेश के परिपेक्ष्य में एक सवाल है। जिस पर डीएलएड अभ्यार्थियों ने ध्यान नहीं दिया। भला कोई व्यक्ति 1 वर्ष में ही 2 वर्ष के डीएलएड से अधिक योग्य हो गया।
ऐसे तो डीएलएड को भी 1,2,3 सभी मे मौका मिलना चाहिये। जो अभ्यार्थी पीजी है उनको डीएलएड उपरांत वर्ग 1, 2 मे मौका दिया जाये चयनित होने पर उनको भी 6 माह का ब्रिज कोर्स करा दिया जाये। ✒ सादर धन्यवाद, आशीष कुमार
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