आदरणीय मुख्यमंत्री जी, आपने वर्तमान में अनेक जनप्रतिनिधियों के मानदेय मे वृद्धी कर दी है। इससे आशा थी कि जल्द ही आप प्रदेश के शासकीय विद्यालयों मे अल्प मानदेय पर सेवा दे रहे उच्च शिक्षित अतिथिशिक्षकों के मानदेय वृद्धी के आदेश भी कर देंगे। आज गॉंव की शिक्षा में हम जो सुधार देख रहे है, प्रदेश के शासकीय विद्यालयों के जो उत्कृष्ट परीक्षा परिणाम देखने मिल रहे हैं, इसमें बहुत बड़ा योगदान प्रदेश के अतिथि शिक्षकों का भी है जिसे नजरअंदाज किया जा रहा है।
अतिथि शिक्षकों के हित में नीति लागू करें
देश के अन्य राज्य अपने अतिथि शिक्षकों के हित मे न्यायसंगत नीति लागू कर रहें हैं। वही मध्य प्रदेश की शिक्षक भर्ती मे अतिथि शिक्षकों को न तो बोनस अंक मिल रहे है न ही शिक्षक पात्रता परीक्षा पास कर चुके डीएड, बीएड अतिथि शिक्षकों का नियमितिकरण किया जा रहा है, न ही उनको न्याय संगत मानदेय दिया जा रहा है, जिससे वे अपने घर की रोजी रोटी ठीक से चला सकें।
महोदय जी, आपने अपने 2013 तक के कार्यकाल में मध्यप्रदेश में कई भर्तिया निकाल कर बेरोजगारों को बिना किसी भेदभाव, योग्यता के आधार पर पीईबी परीक्षा में सफल होने पर भरपूर रोजगार दिया। मध्यप्रदेश में लाडली लक्ष्मी योजना लागू करके बेटियों को सामाजिक सम्मान दिया। लेपटॉप वितरण कर योग्य छात्रों में विश्वास का संचार किया। गरीब छात्रों को प्रतिभा के आधार पर उनकी उच्च शिक्षा को सुचारू रूप से पूर्ण करने हेतु आर्थिक संबल प्रदान किया परंतु आपके द्वारा निरंतर प्रदेश के अतिथि शिक्षकों की उपेक्षा की जा रही है। उन्हे वह सम्मान और अधिकार अब तक नहीं दिया गया जिससे गुरू का गुजर बसर ढंग से हो सके।
जिस संविदा कल्चर के चलते आप विपक्ष मे रहते पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जी को कोसा करते थे उसी कर्मी और आउटसोर्स कल्चर को आपने वटवृक्ष का स्वरूप अपने कार्यकाल मे दे दिया। आज पीईबी पास, निर्धारित योग्यता मापदंड पूरा करने वाले संविदकर्मी और अतिथि शिक्षक, अतिथि विद्वान आपसे न्याय की आशा लगाये है कि आप उनके नियमितिकरण पर विचार करेंगे लेकिन प्रदेश सरकार की वर्तमान नीतियां अतिथि शिक्षक, विद्वान, संविदाकर्मियों के प्रति उदारता की प्रतीत नहीं हो रही है।
100 से अधिक विधायक सांसद आपको इनकी समस्याओं को हल करने संबंधी पत्र लिख चुके है। कई आंदोलन इनके संगठन कर चुके हैं परंतु सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही। ऐसा लग रहा है कि प्रदेश मे धृतराष्ट्र का शासन है, जिसे शकुनि मामा जो दिखा रहें है वे बस वो ही देख पा रहे है। मान्यवर आप खुद को प्रदेश का मामा कहते है फिर क्यों आपका ध्यान इन शोषित वर्गों पर नहीं जा रहा है जो अपने जीवन के अमूल्य 15-20 साल जनसेवा मे दे चुके है। मुझे आशा है कि हम जल्द ही आपका पुराना रूप देखेंगे और हमारी समस्त समस्यायें आप दूर करेंगे।
इसी आशा और विश्वास के साथ आपका शुभचिंतक।
सादर धन्यवाद, आशीष कुमार बिरथरिया
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