अगर किसी व्यक्ति को थोड़े समय के लिए भी उसकी मर्जी के बगैर रोककर रखा जाता है तो यह सदोष परिरोध का अपराध होता है और इसके लिए अपराधी को अधिकतम एक वर्ष के लिए जेल जाना पड़ सकता है लेकिन अगर किसी व्यक्ति को तीन दिन या अधिकतम 9 दिन तक उसकी मर्जी के बिना रोककर रखा जाता है तो यह अपराध और गंभीर हो जाता है और अपराधी को अधिकतम दो वर्ष की सजा हो सकती है। अब सवाल यह है कि अगर किसी व्यक्ति को 10 दिन या 10 से अधिक दिनों तक रोककर रखा जाता है, तब क्या दण्ड का प्रावधान होगा जानिए।
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 344 की परिभाषा
कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति का दस या दस दिनों से अधिक दिनों तक के लिए परिरोध करेगा तब ऐसा करने वाला व्यक्ति धारा 344 के अंतर्गत दोषी होगा।
उदहारण के लिए:- अगर कोई व्यक्ति किसी को उसकी मर्जी के बिना किसी अन्य व्यक्ति को दस दिनों से अधिक अपने घर में बंद करके रखता है, चाहे उसे धमकी देकर रख रहा हो या प्रलोभन देकर तब वह व्यक्ति भी धारा 344 के अंतर्गत दोषी होगा।
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 344 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान
यह अपराध दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 320(1) के अंतर्गत समझौता योग्य है। यह संज्ञेय (गंभीर) एवं जमानतीय अपराध होते हैं अर्थात कोई पुलिस अधिकारी इस अपराध की रिपोर्ट दर्ज कर सकता है। इनकी सुनवाई किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है। सजा:- इस अपराध के लिए अधिकतम तीन वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है।
नोट:- इस अपराध के लिए पुलिस थाने में अगर एफआईआर दर्ज नहीं होती है तो व्यक्ति स्वयं न्यायालय में परिवाद दायर कर सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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