Legal advice- किसी व्यक्ति को 3 से अधिक दिनों तक रोककर रखना, आईपीसी 343 परिभाषा एवं सजा

Bhopal Samachar
अपहरण एवं बंधक बनाकर रखने के पीछे एक आपराधिक उद्देश्य होता है। ज्यादातर फिरौती की वसूली होती है या फिर कुछ और लेकिन कभी-कभी गंभीर आपराधिक उद्देश्य के बिना अन्य कई कारणों से किसी व्यक्ति को उसकी मर्जी के बिना रोक लिया जाता है। यहां मारपीट नहीं की जाती लेकिन उसकी स्वतंत्रता बाधित हो जाती है। जैसे, रक्षाबंधन या आवश्यक होने पर पत्नी को मायके जाने से रोकना, विद्यार्थी को परीक्षा देने से रोकना, पुलिस हिरासत में लिए गए व्यक्ति को न्यायालय में प्रस्तुत ना करना इत्यादि।आइए जानते हैं कि इस प्रकार के मामलों में किस धारा के तहत अपराध पंजीबद्ध किया जाता है और कितनी सजा मिलती है।

भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 343 की परिभाषा:-

अगर कोई व्यक्ति किसी को बिना ठोस कारण के जानबूझकर जबर्दस्ती तीन दिन या तीन दिनों से अधिक समय अवधि के लिए रोककर रखना है तब यह एक गंभीर अपराध होगा। पुलिस द्वारा आईपीसी की धारा 343 के तहत प्रथम सूचना प्रतिवेदन में रजिस्टर किया जाएगा और इन्वेस्टिगेशन के बाद यदि अपराध सही पाया जाता है तो सजा निर्धारित करने के लिए न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा।

भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 343 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान

यह अपराध दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 320(1) के अंतर्गत समझौता योग्य है। यह संज्ञेय (गंभीर) एवं जमानतीय अपराध होते हैं अर्थात कोई पुलिस अधिकारी इस अपराध की रिपोर्ट दर्ज कर सकता है। इनकी सुनवाई किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है। सजा:- इस अपराध के लिए अधिकतम दो वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।

नोट:- इस अपराध के लिए पुलिस थाने में अगर एफआईआर दर्ज नहीं होती है तो व्यक्ति स्वयं न्यायालय में परिवाद दायर कर सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665

इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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