जब कोई मामला न्यायालय में पहुंच जाता है तब जाँच, विचारण या अन्य सुनवाई के समय पक्षकार कई तरह की आपत्ति लगाते हैं जैसे कि:- जमानत लेने के समय, या बेल रद्द करने की आपत्ति के समय या साक्ष्य देते समय, आपत्ति आदि के समय क्या कोई पक्षकार अचानक मौखिक बहस कर सकता है जानते हैं इसका जबाब।
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 314 की परिभाषा
• कार्यवाही का कोई भी पक्षकार, अपने साक्ष्य की समाप्ति के बाद मौखिक बहस कर सकता है लेकिन मौखिक बहस करने से पहले न्यायालय में निवेदन साक्ष्य समाप्त होने पहले प्रस्तुत होना चाहिए।
• जिस विषय पर मौखिक बहस की जानी है उन साक्ष्यों की प्रतिलिपि या लिखित फाइल की कॉपी विरोधी पक्षकार को दी जाएगी।
• अगर न्यायालय को लगता है कि मौखिक बहस संक्षिप्त या ठोस नहीं है तो वह ऐसी बहस को निरंतर रख सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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