भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 177 में झूठी जानकारी देना अपराध है एवं धारा 179 में सत्य बात जानते हुए भी झूठी जानकारी देना अपराध मना गया है। इसी प्रकार धारा 180 एवं 181 में झूठे बयान पर हस्ताक्षर करना एवं सत्य कथन पर झूठ बोलना अपराध होता है। दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 313 आरोपी को स्वंय प्रतिरक्षा करने का अवसर प्रदान करती है अब सवाल यह है की आरोपी स्वयं के बचाव में अगर कोई झूठ बोलता है तो क्या उसे मिथ्था बयान या साक्ष्य का भी दोषी किया घोषित जायेगा जानिए।
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 313 की उपधारा 02 एवं 03 की परिभाषा
1. अगर किसी आरोपी को न्यायालय परीक्षा के लिए बुलवाता है तो आरोपी व्यक्ति से किसी भी प्रकार की शपथ नहीं दिलवाई जाएगी।
2. अगर आरोपी व्यक्ति अपने बचाव में झूठी जानकारी देता है या मजिस्ट्रेट के सवालों का जबाब नहीं देता है तब उस पर कोई दण्डनीय कार्यवाही नहीं की जाएगी।
अर्थात आरोपी व्यक्ति अपनी प्रतिरक्षा के लिए कोई झूठा साक्ष्य देता है या झूठे बयान, कथन तब उसे मिथ्था साक्ष्य का दोषी नहीं माना जाएगा वह स्वतंत्र है स्वयं अपनी प्रतिरक्षा करने के लिए। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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