कानूनी भाषा के दो शब्द जो आम नागरिकों को समझना बहुत मुश्किल होता है कभी कभी तो पुलिस अधिकारी भी इन दो शब्दों के अपराध को समझ नहीं पाते हैं वो है अवरोध और परिरोध वैसे हिन्दी में दोनों शब्दों का अर्थ होता है रोक या प्रतिबंध लेकिन कानूनी भाषा में ये दोनों एक दूसरे से भिन्न ही होते हैं जानिए।
1. सदोष अवरोध का अर्थ (गलत तरीके से प्रतिबंध लगाना IPC की धारा 339):-
जब किसी व्यक्ति को किसी भी ऐसी दिशा में जाने से रोकना जिधर जाने का उसे अधिकार है और वह उस दिशा से अलग किसी अन्य दिशा में चला जाए वहाँ सदोष अवरोध का अपराध होगा।
उदाहरण :- मोहन, श्याम को धमकी देता है की श्याम तू उस रास्ते से निकला तो मैं हाथ पैर तोड़ दूँगा यहाँ पर मोहन ने सदोष अवरोध का अपराध किया।
2. सदोष परिरोध का अर्थ (गलत तरीके से रोक लगाना IPC की धारा 340)
अगर किसी व्यक्ति को एक निश्चित सीमा के लिए रोककर रखा गया है। उस दिशा से जिससे उसे जाने का अधिकार है तब यह सदोष परिरोध का अपराध होगा।
जैसे कि:- अगर किसी व्यक्ति का 10 से शाम 5 बजे तक पेपर है और उसका मित्र उसको शाम 6 बजे तक रोककर रखता है तब वह एक परिसीमा (निश्चित समय अवधि) तक रुकावट उत्पन्न करता है यह सदोष परिरोध का अपराध होगा।
कुल मिलाकर साधारण शब्दों में अगर कहें तो सदोष अवरोध किसी व्यक्ति के मार्ग में बाधा उत्पन्न करना होता है एवं सदोष परिरोध किसी निश्चित समय सीमा तक किसी व्यक्ति को रोककर रखने में उत्पन्न होता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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