भोपाल। आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल के नाम दिनांक 16 जनवरी 2023 को अभ्यावेदन प्रस्तुत किया गया है। दावा किया गया है कि माध्यमिक शिक्षक भर्ती संयुक्त काउंसलिंग में शाला विकल्प चयन सूची विषय अंग्रेजी में 600 नामों की गड़बड़ी की गई है। इनमें से 150 नवनियुक्त शिक्षक हैं और 475 के नियुक्ति पत्र जारी हो चुके हैं। सवाल यह है कि यह केवल एक गड़बड़ी है या योजनाबद्ध घोटाला।
एमपी शिक्षक भर्ती- 3328 रिक्त पदों के लिए 2054 कैंडिडेट्स के डॉक्यूमेंट वेरीफाई हुए थे
अभ्यावेदन में बताया गया है कि माध्यमिक शिक्षक विषय अंग्रेजी में द्वितीय काउंसलिंग के लिए दस्तावेज सत्यापन हेतु 2487 अभ्यर्थियों को चुना गया था। जिनका सत्यापन सफलतापूर्वक हो चुका था। इनमें से 433 अभ्यर्थियों का दस्तावेज सत्यापन में कुछ त्रुटि और अन्य कारणों की वजह से उन्हें बाहर कर दिया गया था। अब सिर्फ 2054 अभ्यर्थी पात्र पाए थे। स्कूल साला चयन सूची में इन्हीं कैंडिडेट का नाम होना चाहिए था।
सबको सरकारी नौकरी मिलने की 100% उम्मीद थी क्योंकि स्कूल शिक्षा विभाग एवं जनजाति कार्य विभाग ने संयुक्त काउंसलिंग में वर्ग दो अंग्रेजी विषय हेतु विज्ञापित पदों की संख्या 2335(SED)+ तथा 993(TWD) कुल मिलाकर 3328 कुल संख्या जारी कर आदेश पारित किया था। इस प्रकार रिक्त पदों की संख्या, वेरीफाइड कैंडीडेट्स की संख्या से ज्यादा है।
TRC MPONLINE NEWS- 1618 उम्मीदवारों की सूची में 600 नामों की गड़बड़ी
लेकिन डीपीआई में गड़बड़ी हो गई है। 2054 वेरीफाइड कैंडीडेट्स में से मात्र 1618 कैंडिडेट्स के नाम स्कूल शाला विकल्प चयन हेतु ऑनलाइन किए गए। आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय मध्यप्रदेश के पत्र क्रमांक/UCR/253/2022/2118 दिनाक 17/11/22, के अनुसार 3328 पदों पर सूची जारी होनी थी परंतु 1618 उम्मीदवारों की सूची जारी की गई और इसमें से भी 150 कैंडीडेट्स वह है जो नियुक्ति प्राप्त करके स्कूल में ज्वाइन कर चुके हैं। इसके अलावा 475 कैंडीडेट्स ऐसे हैं जिनके नियुक्ति आदेश जनजातीय कार्य विभाग द्वारा जारी किए गए हैं। डिपार्टमेंट में अब तक कंफर्म नहीं किया है कि इन लोगों ने नौकरी ज्वाइन की है या नहीं। इस प्रकार कुल 600 गलत उम्मीदवारों के नाम लिस्ट में जारी कर दिए गए हैं।
बाबू की गलती या साहब का घोटाला
यह प्रश्न उपस्थित होता है कि स्कूल शाला चयन सूची में जिन 600 नामों की गड़बड़ी सामने आई है वह केवल लिपिकीय त्रुटि है अथवा एक सोची समझी साजिश के तहत रचा गया घोटाला है। संदेह इसलिए किया जा सकता है क्योंकि 600 नाम ऐसे हैं जो स्कूल शाला का चयन नहीं करेंगे। यानी इन 600 पदों पर कुछ ऐसा भी किया जा सकता है जैसा व्यापम घोटाले में मेडिकल सीटों पर किया गया था। जांच करना जरूरी है क्योंकि माफिया कुछ भी कर सकता है।
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