MP POLICE HEADQUARTERS BHOPAL द्वारा महिलाओं द्वारा दर्ज कराए गए आपराधिक मामलों की इन्वेस्टिगेशन के लिए टाइम लिमिट फिक्स कर दी गई है। यदि इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर टाइम लिमिट में इन्वेस्टिगेशन पूरी नहीं करता तो उसे आईजी पुलिस के सामने उपस्थित होकर जवाब देना होगा। यदि उसका जवाब संतोषजनक नहीं हुआ तो उसके खिलाफ विभागीय दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
MP POLICE- महिला अपराधों की जांच के लिए नई गाइडलाइन
मध्य प्रदेश पुलिस मुख्यालय भोपाल ने नई गाइडलाइन तय की है और इसके अनुसार यदि प्रकरण दर्ज होने के 60 दिवस के भीतर पर जांच पूरी नहीं हुई, तो अधिकारियों-कर्मचारियों पर गाज गिरेगी। निर्देशों के साथ महिला अपराधों से जुड़ी नई गाइडलाइन भी जल्द जारी की जाएगी। महिला अपराधों की विवेचना में अनावश्यक देरी करने और लापरवाही बरतने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच के साथ नियमानुसार सजा भी दी जाएगी। नई गाइडलाइन में विवेचनाधीन प्रकरणों की तत्परता से विवेचना पूर्ण कर न्यायालय से निराकरण कराने पर बल दिया गया है।
नई गाइडलाइन के अनुसार अच्छा काम करने वाले अधिकारियों को फायदा भी होगा। ई-विवेचना एप के जरिए रैंकिंग रिपोर्ट तय होगी। जिसके बाद सीआर में अफसर को ग्रेड भी दिए जाएगा। खास बात है कि एएसपी और सीएसपी भी आईजी को रिपोर्ट देंगे। यदि विवेचना में देरी होती है तो कारण भी बताना होगा।
किस प्रकार के मामलों को संज्ञान में लिया जाएगा
- दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 173 (8) के तहत लंबित की गई विवेचना।
- गिरफ्तारी योग्य साक्ष्य होने के बावजूद आरोपी की गिरफ्तारी ना होना।
- सीआरपीसी की धारा 299 के तहत चालान प्रस्तुत करना।
- आरोपी से किसी भी प्रकार की जब्ती का बकाया होना।
- आरोपी का मेडिकल एग्जामिनेशन बकाया होना।
सबसे पहले 4 शहरों में पायलट प्रोजेक्ट
अभी पीएचक्यू ने नई गाइडलाइन के तहत भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर के अधिकारियों को महिलाओं से संबंधित अपराधों को रोकने के लिए कर्तव्य बताए गए है तथा इन सभी जिलों में अधिकारियों को भी पदस्थ किया गया है। गाइडलाइन के अनुसार अन्य शहरों में भी इसी तरह की व्यवस्था की जा रही है तथा अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय की जाएगी।
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