भोपाल। मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग में उच्च स्तर की गड़बड़ी होती है। बैतूल जिले के एक फर्जी कॉलेज में डिपार्टमेंट ने असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति कर दी। जब बताया गया कि नियुक्ति गलत हो गई है तो डिपार्टमेंट गलती मानने को तैयार नहीं था। मामला जांच के योग्य है क्योंकि गड़बड़ी सिस्टम में है।
MP NEWS- जहां सरकारी कॉलेज नहीं, वहां सरकारी प्रोफेसर की नियुक्ति
मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा सरकारी कॉलेजों में रिक्त पदों पर नियुक्ति हेतु सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा का आयोजन किया गया था। चयन परीक्षा के बाद क्वालीफाई करने वाले कैंडिडेट्स की लिस्ट उच्च शिक्षा विभाग को भेज दी गई थी। MPHED ने केमिस्ट्री के असिस्टेंट प्रोफेसर श्री दुर्गेश राणे की नियुक्ति बैतूल जिले के साईं खेड़ा में स्थित सरकारी कॉलेज में कर दी जबकि साईं खेड़ा जिला बैतूल में कोई कॉलेज ही नहीं है। अलबत्ता कहा जाता है कि एक फर्जी कॉलेज जरूर संचालित होता है। जिसे कभी पकड़ा नहीं जा सका है।
OSD ने कहा- टाइपिंग मिस्टेक हो गई है
इस मामले की जानकारी जब डिपार्टमेंट को दी गई और बताया गया कि नियुक्ति गलत हो गई है तो डिपार्टमेंट अपनी गलती मानने को तैयार नहीं। अब मामला सीएम हाउस पहुंच गया है। स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाने के बाद गंगाराम गांगले, ओएसडी उच्च शिक्षा मप्र द्वारा बयान दिया गया कि साईं खेड़ा बैतूल जिले में भी है और नरसिंहपुर जिले में भी है। उम्मीदवार की नियुक्ति नरसिंहपुर जिले में की जानी थी। टाइपिंग मिस्टेक के कारण बैतूल जिला लिखा हो गया।
बड़ा सवाल- सॉफ्टवेयर में कैसी टाइपिंग मिस्टेक, कहीं गोलमाल तो नहीं
सवाल सिर्फ इतना सा है कि अब टाइपिंग मशीन पर नहीं बल्कि कंप्यूटर पर काम होता है। सरकारी कॉलेजों की लिस्ट कॉपी पेस्ट की जाती है और फिर सॉफ्टवेयर भी तो है। ऐसा कैसे हो सकता है कि एक कॉलेज जो अस्तित्व में ही नहीं है, उसका नाम लिस्ट में चल रहा हो। इस मामले में सिर्फ नियुक्ति पत्र में संशोधन करने की जरूरत नहीं है बल्कि उच्च शिक्षा विभाग के कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर की जांच करने की जरूरत है।