जबलपुर। मध्य प्रदेश शासन के जनजातीय कार्य विभाग की चयन सूची में दर्ज हुए कुछ उम्मीदवार TRC- टीचर रिक्रूटमेंट काउंसलिंग के नए नियमों से संतुष्ट नहीं हैं और न्याय मांगने के लिए हाई कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। लगभग 20 उम्मीदवारों का समूह हाईकोर्ट के वकीलों से कानूनी सलाह ले रहा है।
चयन सूची में आ चुके उम्मीदवारों को समस्या क्या है
मध्यप्रदेश शासन द्वारा लोक शिक्षण संचालनालय और जनजातीय कार्य विभाग द्वारा संचालित सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त पदों पर भर्ती के लिए एक पात्रता परीक्षा का आयोजन किया गया था। भर्ती के नियम समान थे। मेरिट में आने वाले कैंडिडेट्स के लिए स्वाभाविक रूप से यह स्वतंत्रता होती है कि वह जहां चाहे वहां नियुक्ति प्राप्त कर सकता है लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय के अधिकारियों ने एक सर्कुलर जारी कर दिया। निर्धारित कर दिया कि उम्मीदवार का नाम किसी एक चयन सूची में आ जाएगा उसे दूसरे विभाग की चयन सूची में शामिल नहीं किया जाएगा।
जो उम्मीदवार विधिक सलाह मशवरा कर रहे हैं उनके नाम जनजातीय कार्य विभाग की चयन सूची में आ गए हैं जबकि वह लोक शिक्षण संचालनालय के स्कूलों में पढ़ाना चाहते हैं। डीपीआई कमिश्नर का कहना है कि हम अपने यहां मौका नहीं दे सकते क्योंकि आपका नाम ट्राइबल की लिस्ट में है। बस इसी बात से उम्मीदवार नाराज हैं।
हाई कोर्ट एडवोकेट श्री अमित चतुर्वेदी का कहना है कि, पात्रता परीक्षा, भर्ती नियम और उस में हुए संशोधन में इस प्रकार का कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया था। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 16 में उम्मीदवारों को स्वतंत्रता प्रदान की गई है। उन्होंने कहा कि संयुक्त काउंसलिंग नहीं आयोजित होने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है।
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