मध्यप्रदेश शासन का स्वास्थ्य विभाग कभी-कभी तो साक्षात यमराज नजर आता है। उत्कृष्ट कार्य के लिए कई बार अवार्ड जीत चुकी 28 वर्षीय स्टाफ नर्स तनवी दबंडे को 90-90 घंटे काम कराया गया। उसमें ट्रांसफर मांगा, मेडिकल लगाया। बताया कि वह डिप्रेशन में है लेकिन उसका ट्रांसफर नहीं किया गया। परेशान होकर उसने सुसाइड कर लिया। डिपार्टमेंट ने जले पर नमक छिड़कते हुए उसकी मृत्यु के 66 दिन बाद उसका ट्रांसफर आर्डर जारी कर दिया।
नर्स तनवी दबंडे मूलत: बैतूल की रहने वाली थी। वह खोड़ के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ थी। उत्कृष्ट कार्य के लिए उसे कई बार सम्मानित किया गया था। मात्र 28 साल की तन्वी को एक्सीलेंस नर्स कहा जाता था लेकिन अच्छा काम करने के बाद भी उसे अपने अधिकारियों से अच्छा व्यवहार नहीं मिला। दिसंबर 2022 में उसकी 90-90 घंटे की ड्यूटी लगाई गई। तनाव इतना बढ़ गया कि वह डिप्रेशन में चली गई। उसका परिवार भोपाल में रहता था। तन्वी ने डिपार्टमेंट को कई बार लिखा। बताया कि वह डिप्रेशन में है और इलाज कराना चाहती है। उसका ट्रांसफर भोपाल या आस पास कहीं कर दिया जाए। वह किसी भी कीमत पर शिवपुरी से बाहर निकलना चाहती थी परंतु डिपार्टमेंट अपने उत्कृष्ट कर्मचारी की बात सुनने के लिए तैयार नहीं था।
20 दिसंबर को तनवी ने अपने सरकारी क्वार्टर में सुसाइड कर लिया था। तन्वी की मौत के 66 दिन बाद स्वास्थ्य विभाग की तरफ से तन्वी का ट्रांसफर आर्डर जारी कर दिया गया। समाचार लिखे जाने तक तन्वी को परेशान करने वाले किसी भी अधिकारी के खिलाफ कोई जांच प्रक्रिया में नहीं थी। जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. पवन जैन ने तन्वी के मौत के बाद आए ट्रांसफर आर्डर की पुष्टि की है।
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