नई दिल्ली। ‘ट्रिपल डिप ला नीना' यह शब्द आपको आने वाले दिनों में कई बार सुनाई देगा। 1950 जबसे रिकॉर्ड रखा जा रहा है अब तक केवल दो बार दर्ज किया गया है। सन 2023 में तीसरी बार दर्ज किया जाएगा। इसके कारण भारत के ज्यादातर इलाकों में सूखा पड़ने की संभावना है जबकि कुछ इलाकों में भारी बाढ़ आ सकती है। सामान्य मानसून की संभावना बहुत कम है।
1950 के बाद तीसरी बार इस साल, ट्रिपल डिप ला नीना
मौसम विभाग एवं वैज्ञानिकों की भाषा में, उत्तरी गोलार्द्ध में ला नीना का प्रभाव लगातार तीसरी बार पड़ना एक दुर्लभ घटना है और इसे ‘ट्रिपल डिप’ ला नीना के तौर पर जाना जाता है। आंकड़ों के मुताबिक लगातार तीन बार ला नीना का प्रभाव वर्ष 1950 से अब तक सिर्फ दो ही बार पड़ा है। ऐसा वर्ष 1973-1976 और 1998-2001 के बीच हुआ था। एनओएए के मुताबिक ला नीना प्रभाव की सबसे लम्बी अवधि 37 महीनों की थी और यह वर्ष 1973 के वसंत से 1976 के वसंत तक रही थी। उसके बाद वर्ष 1998-2001 के बीच इसका प्रभाव 24 महीनों से ज्यादा वक्त तक रहा था।
भारत में मानसून 2023 का पूर्वानुमान
भारत मौसम विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक, प्राइवेट स्काईमेटवेदर के विशेषज्ञ, मेरीलैंड यूनीवर्सिटी के अनुसंधानकर्ता और दुनिया भर में बहुत सारे लोग इस समय चिंता में है। लगातार तीसरे साल ला नीना कंफर्म हो गया है। रिकॉर्ड बताते हैं कि ऐसी स्थिति में 60% संभावना है कि सूखा पड़ेगा और अनुभव के आधार पर 90% विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि, वर्षा सामान्य से कम होगी। हालांकि सन 1997 में सामान्य से अधिक वर्षा हो गई थी, लेकिन ऐसा केवल एक बार हुआ है। फिलहाल सटीक अनुमान लगाना मुश्किल है लेकिन इतना जरूर कहा जा रहा है कि इस साल का मानसून सामान्य नहीं होगा।
क्या कोई चमत्कार हो सकता है
जहां एक तरफ समुद्र में संकट जन्म ले रहा है तो दूसरी तरफ तबाही को रोकने के लिए MJO (मैडेन-जूलियन-ऑसीलेशन) और IOD (हिंद महासागर डिपोल) नाम की रक्षक भी पैदा हो रहे हैं। यह दोनों मिलकर दक्षिण पश्चिम मानसून की रक्षा करते हैं। यह दोनों इतने शक्तिशाली है कि ला नीना के प्रभाव को समाप्त कर सकते हैं। अब देखना यह है कि कौन कितना ताकतवर निकलता है। समुद्री राक्षस ला नीना या फिर मानसून के रक्षक एमजेओ (मैडेन-जूलियन-ऑसीलेशन) और आईओडी (हिंद महासागर डिपोल)।
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