जबलपुर। पट्टा प्रक्रिया के बाद 4 साल बाद नामांतरण को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अमान्य घोषित कर दिया है इसके साथ ही ग्राम पंचायत क्षेत्र में आने वाला बाबा तालाब, निजी स्वामी से मुक्त हो गया।
अधिवक्ता श्री रामेश्वर ठाकुर ने बताया कि 15 एकड़ की जमीन बाबा तालाब के नाम दर्ज थी। दिनांक 2 जून 2009 को यह जमीन सुमेर सिंह के नाम दर्ज हुई और उसके द्वारा बेच दी गई। तहसीलदार ने नामांतरण की प्रक्रिया पूरी कर दी। सरकारी तालाब अचानक प्राइवेट हो गया था। इसके खिलाफ ग्राम पंचायत गुलवारा तहसील रामनगर जिला सतना ने SDM के समक्ष विधिवत अपील प्रस्तुत की परंतु लिमिटेशन के आधार पर एसडीएम ने उनकी अपील को खारिज कर दिया।
ग्राम पंचायत ने नियमानुसार रीवा कमिश्नर कोर्ट में अपील प्रस्तुत की। कमिश्नर कोर्ट द्वारा दिनांक 26 दिसंबर 2020 को विस्तृत आदेश जारी किया गया। इसमें ग्राम गुलवारा की सर्वे क्रमांक 535, 536, 537, 39, 40, 41, 122, 123, 126, 127, सन 1959 से सन 2009 तक राजस्व अभिलेख में शासकीय भूमि पर तालाब के रूप में दर्ज है। जिसे सन 1939 में एक पट्टे के आधार पर पट्टाधारी के वारिसों द्वारा 72 साल बाद नामांतरण कराया गया। कमिश्नर कोर्ट ने इस प्रक्रिया को अमान्य घोषित करते हुए निरस्त कर दिया।
कमिश्नर कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका क्रमांक 803/2021 दायर की गई थी। इस याचिका की सुनवाई मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के विद्वान न्यायाधीश जस्टिस डीडी बंसल द्वारा की गई। याचिकाकर्ता द्वारा पक्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद, हाईकोर्ट ने पाया कि रीवा संभाग के कमिश्नर कोर्ट द्वारा जारी आदेश उचित एवं वैधानिक है। इसी के साथ याचिका को निरस्त कर दिया गया। हाईकोर्ट में ग्राम पंचायत की ओर से अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर द्वारा पैरवी की गई।
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