नई दिल्ली। एलएलबी की पढ़ाई करके लीगल प्रैक्टिस के इच्छुक लॉ स्टूडेंट्स, सुप्रीम कोर्ट में बार काउंसिल के खिलाफ केस हार गए हैं। स्टूडेंट्स ने दावा किया था कि बार काउंसिल को वकालत की प्रैक्टिस का लाइसेंस (सनद) देने से पूर्व किसी भी प्रकार की परीक्षा कराने का अधिकार नहीं है।
केवी सुदीर विरुद्ध बार काउंसिल ऑफ इंडिया
सुप्रीम कोर्ट ने सन 1999 में केवी सुदीर विरुद्ध बार काउंसिल ऑफ इंडिया मामले में फैसला दिया था कि एडवोकेट एक्ट की धारा 24 के तहत लीगल प्रैक्टिस के इच्छुक व्यक्ति पर कोई अतिरिक्त शर्त नहीं लगा सकते। यानी एलएलबी पास करने के बाद सनद प्राप्त करने या फिर उसे लाइफटाइम कंटिन्यू बनाए रखने के लिए किसी भी प्रकार की परीक्षा की आवश्यकता नहीं होगी।
इसके बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सन 2010 में यह प्रावधान किया कि कानून की डिग्री प्राप्त करने वालों को कोर्ट में पेशेवर वकील बनने से पहले एक परीक्षा देनी होगी। बार काउंसिल ऑफ इंडिया के इस फैसले को लॉ कॉलेज और लॉ स्टूडेंट्स ने चैलेंज किया था। सुप्रीम कोर्ट के पांच विद्वान न्यायाधीश, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस एएस ओका, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस जीके माहेश्वरी की संविधान पीठ ने कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया को परीक्षा कराने का पूरा अधिकार है।
यह परीक्षा उसे कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू करने से पहले लेनी है या फिर उसके बाद, इस फैसले के लिए बीसीआई स्वतंत्र है। ✔ इसी प्रकार की जानकारियों और समाचार के लिए कृपया यहां क्लिक करके हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें एवं यहां क्लिक करके हमारा टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करें। क्योंकि भोपाल समाचार के टेलीग्राम चैनल पर कुछ स्पेशल भी होता है।