भारतीय संविधान अधिनियम,1950 के भाग 05 के अध्याय 05 के अनुच्छेद 148 से अनुच्छेद 151 के अंतर्गत एक संवैधानिक निकाय की व्यवस्था की गई है जिसे हम भारत का नियंत्रक महालेखा परीक्षक अर्थात CAG कहते हैं।CAG का काम है, सरकारी धन का लेखा-जोखा रखना एवं उसका ऑडिट करना। इसकी रिपोर्ट के आधार पर सरकार भविष्य की योजनाएं और वित्तीय फैसले कर पाती है। संविधान निर्माता डॉ. बीआर अंबेडकर ने कहा है कि CAG का पद भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण पद हैं।
महालेखा परीक्षक की नियुक्त, शपथ, त्यागपत्र और कार्यावधि:-
महालेखा परीक्षक की नियुक्ति, शपथ और वह अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति के समक्ष ही लेगा एवं देगा। किसी भी महालेखा परीक्षक का कार्यकाल 6 वर्ष की अवधि अथवा 65 वर्ष की आयु जो भी पहले हो, अर्थात कोई भी महालेखा परीक्षक 6 वर्ष से अधिक समय तक पद पर नहीं रहेगा अगर कोई व्यक्ति 60 वर्ष की उम्र में महालेखा परीक्षक बनता है तो वह 5 वर्ष तक ही अपना पद धारण कर पाएगा, 6 वर्ष के कार्यकाल के लिए दावा नहीं कर सकता।
महालेखा परीक्षक के मुख्य कार्य क्या होते है जानिए:-
1. भारत एवं सभी राज्यों की संचित निधि का हिसाब किताब रखना।
2. संसद एवं राज्य विधानमंडल की आकस्मिक निधि का हिसाब-किताब रखना।
3. केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के किसी भी विभाग द्वारा सभी ट्रेडिंग, निर्माण लाभ-हानि का हिसाब किताब रखना।
4.सभी निकाय या प्राधिकरण केन्द्र या राज्य सरकार की अनुदान प्राप्त या खर्च राशि का हिसाब किताब रखना एवं सरकारी कंपनियों का भी।
नोट:- महालेखा परीक्षक अपनी निरीक्षण रिपोर्ट को राज्य स्तर पर राज्यपाल को सौंपेगा एवं केन्द्र स्तर पर राष्ट्रपति को सौंपता हैं। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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