DO YOU KNOW- WHY ARE VERY SMALL ANIMALS NOT FOUND IN POLAR REGIONS?
पिछले सभी NCERT NOTES पढ़ने के बाद अब आप जान ही गए होंगे कि पृथ्वी पर विषुवत् रेखा (Eqater) पर तापमान और जैव विविधता सर्वाधिक होती हैं, जबकि जैसे -जैसे विषुवत् रेखा से ध्रुवों की ओर जाते हैं तो तापमान और जैवविविधता दोनों ही घटते जाते हैं। इसी कारण ध्रुवीय क्षेत्रों में। जीव जंतु एवं पेड़- पौधे कम ही पाए जाते हैं। परन्तु यदि अपना ध्यान दिया हो की तो पोलर बियर पोल्स पर ही मिलता है। जबकि छोटे जीव-जंतु जैसे- मंजोरु (श्रु Shrew)और गुंजनपक्षी (Hummingbird) ध्रुवों पर नहीं पाए जाते। क्योंकि इनके लिए तापनियमन ऊर्जा के संदर्भ में काफी खर्चीला होता है।
चूँकि तापहानि या तापलाभ पृष्ठीय क्षेत्रफल(Surface Area) का कार्य है। बहुत छोटे प्राणियों का पृष्ठीय क्षेत्रफल(Surface Area) उनके आयतन(Volume) की अपेक्षा ज्यादा होता है(SURFACE AREA>VOLUME) इसलिए जब बाहर ठंड होती है तो उनके शरीर की उष्मा बहुत तेजी से कम हो जाती है। ऐसी स्थिति में उन्हें उपापचय(Meatabolism) द्वारा शरीर की ऊष्मा पैदा करने के लिए काफी ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है। यही कारण है कि बहुत छोटे प्राणी ध्रुवीय क्षेत्रों में बहुत कम पाए जाते हैं या नहीं पाए जाते।
ऐलन का नियम क्या है- WHAT IS ALLEN'S RULE
Allen's Rule- बहुत अधिक ठंडे क्षेत्रों में(Colder Climatic Animals) के शरीर के बाहरी भाग(Extrimities) बहुत छोटे होते हैं जिससे कि हीट लॉस को कम किया जा सके। यदि सरफेस एरिया ज्यादा होगा तो Heat loss भी ज्यादा होगा। पोलर सी सील्स(Polar Sea Seals) की स्किन के नीचे ब्लबर (blubber)पाया जाता है। फैट इन्सुलेटर की तरह से काम करता है। इसी तरह। नागफनी में थिक क्यूटिकल पाई जाती है और वाटर लॉस को कम करने के लिए पत्तियाँ, कांटों में बदल जाती है। इनमें स्टोमेटा बहुत गहराई में धंसे होते हैं जिससे कि पानी का लॉस कम हो।