उच्चतम न्यायालय द्वारा, यूनियन ऑफ इंडिया बनाम एन पी थॉमस के प्रकरण में, व्यक्त किये गए विचार के अनुसार, वरिष्ठ कर्मचारियों का स्थानांतरण किया जा सकता है एवं कनिष्ठ कर्मचारियों की पदस्थापना निरंतर रखी जा सकती है। यद्दपि, उपरोक्त आदेश ठोस कारणों पर आधारित नही था, सिवाय इसके कि, कर्मचारी स्थानांतरणीय पद पर कार्य कर रहे हैं एवं किसी विशेष स्थान पर रहने का कोई विधिक अधिकार निहित नही है।
तथापि, वरिष्ठ कर्मचारियों का स्थानांतरण किया जाना चाहिये अथवा नही, इस विषय पर,यूनियन ऑफ इंडिया बनाम एन पी थॉमस के प्रकरण में दिया गया निर्णय या विचार, कई विशलेषकों के अनुसार, उचित नही है। निर्णय में व्यक्त विचार के अनुसार, सैद्धांतिक, प्रशासनिक एवं व्यक्तिगत तर्क के आधार पर भी, वरिष्ठ का स्थानांतरण उचित प्रतीत नही होता।
प्रशासनिक तर्क के अनुसार, माना गया कि वरिष्ठ कर्मचारी कई स्थानांतरण से गुजर चुका होगा, जबकि, कनिष्ठ स्थानांतरण के द्वारा अनुभव प्राप्त कर सकेगा। व्यक्तिगत तर्क के आधार पर यह कहा जा सकता है, वरिष्ठ कर्मचारी के समक्ष अधिक पारिवारिक और व्यक्तिगत कठिनाइयां, कनिष्ठ की तुलना में हो सकती हैं।
मूल एवं स्थापित विधि यह है कि ट्रांसफर (सीनियर एवं जूनियर का विचार किये बिना) शासकीय नौकरी/ सेवा की एक जरुरी शर्त है। सक्षम न्यायालय द्वारा, आपवादिक परिस्थितियों में ही, ट्रांसफर के प्रकरणो में हस्तक्षेप किया जाता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️अमित चतुर्वेदी (अधिवक्ता, उच्च न्यायालय जबलपुर) 8085937660, 9827727611
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