नई दिल्ली। शासकीय कर्मचारियों से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले कर्मचारियों को अपना कार्यकाल पूरा कर के रिटायर होने वाले कर्मचारियों के समान लाभ का अधिकार नहीं है। उच्चतम न्यायालय ने उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें वीआरएस वाले कर्मचारियों ने पेंशनर्स के समान लाभ की मांग की थी।
मामला महाराष्ट्र राज्य वित्तीय निगम के वीआरएस प्राप्त कर्मचारियों का है। विद्वान न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बॉस और एस रविंद्र भट्ट की युगल पीठ में मामले की सुनवाई हुई। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले कर्मचारियों के एक समूह ने मांग की थी कि उनके वेतन में संशोधन किया जाए क्योंकि रिटायर हुए कर्मचारियों के वेतन में संशोधन किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का लाभ लेने वाले कर्मचारी, सेवाकाल पूरा करके रिटायर होने वाले कर्मचारियों के समान लाभ के अधिकारी नहीं हो सकते।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कर्मचारियों के वेतन में संशोधन इसलिए भी किया जाता है ताकि अपने कर्तव्य के प्रति प्रतिबद्ध और वफादार बने रहें। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र हाईकोर्ट में यही याचिका निरस्त हो गई थी। हाई कोर्ट के निर्णय के खिलाफ वीआरएस का लाभ लेने वाले कर्मचारियों ने सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया था।
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