अपन सब जानते हैं कि पेट में खाना पचाने के लिए एसिड निकलता है। वैज्ञानिक कहते हैं कि यह एसिड इतना खतरनाक होता है कि, यदि लोहे के ऊपर गिर जाए तो लोहा भी गल जाता है। इसीलिए पुरानी कहावत भी है कि इसका पेट अच्छा है, यह लोहे के चने भी पचा सकता है। सवाल यह है कि जब पेट के अंदर इतना खतरनाक एसिड बनता है तो फिर वह पेट की त्वचा और मांसपेशियों को फाड़ कर बाहर क्यों नहीं निकल आता।
मनुष्य के पेट में खाना पचाने के लिए कौन सा एसिड बनता है
जैसे ही हम खाना खाते हैं तो उसको पचाने के लिए एक तरफ से हाइड्रोक्लोरिक अम्ल तथा दूसरी तरफ से पेप्सिन निकल कर पेट में गिरता है और इन दोनों के मिलने से बनता है हाइड्रोक्लोरिक एसिड। वाकई यह बहुत खतरनाक होता है, लोहे को गला सकता है और मजबूत हड्डियों को पाउडर में बदल सकता है, लेकिन फिर भी इसके कारण पेट को नुकसान नहीं पहुंचता और यह पेट की सीमाओं को तोड़ते हुए बाहर नहीं निकल पाता।
यह बात हमेशा दोहराई जाती है कि मनुष्य का शरीर इस दुनिया में खोजी गई सबसे बेहतरीन इंजीनियरिंग है। जैसे ही पेट के भीतर हाइड्रोक्लोरिक अम्ल और पेप्सिन का गिरना शुरू होता है वैसे ही पेट अपनी लाइनिंग पर म्यूकस की अल्कलाइन परत बना लेता है। इस परत के कारण हाइड्रोक्लोरिक जैसा खतरनाक एसिड भी पेट की दीवारों को नुकसान नहीं पहुंचा पाता।
है ना कितनी शानदार इंजीनियरिंग, हमको ना तो हाइड्रोक्लोरिक अम्ल और पेप्सी के बॉक्स रिफिल करने पड़ते हैं और ना ही म्यूकस की अल्कलाइन परत बनाने के लिए कुछ करना पड़ता है। हम तो सिर्फ खाना खाते हैं, बाकी सब कुछ अपने आप होने लगता है। जरा सोचिए, अपनी पूरी जिंदगी अपने शरीर की तमाम मशीनें लगातार काम करती रहती है और कभी खराब नहीं होती। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article. ✔ इसी प्रकार की जानकारियों और समाचार के लिए कृपया यहां क्लिक करके हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें एवं यहां क्लिक करके हमारा टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करें। क्योंकि भोपाल समाचार के टेलीग्राम चैनल पर कुछ स्पेशल भी होता है।