Parthian Empire जिसे भारत में पहलवी साम्राज्य के नाम से पुकारा गया, दुनिया के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। पार्थियन साम्राज्य 250 ईसा पूर्व से साल 250 (500 वर्ष) तक अस्तित्व में था। बहुत सारी बातों के अलावा यह साम्राज्य अपनी एक खास किस्म की युद्ध कला के लिए इतिहास में दर्ज किया गया। इस युद्ध कला को पार्थियन शॉट नाम से पुकारा जाता है। यह एक ऐसी युद्ध कला है जिसे आज भी उपयोग किया जाता है।
पार्थियन शॉट क्या है और इसमें दुश्मन को कैसे मारा जाता था
कहा जाता है कि, पार्थियन की सेना में सबसे कुशल घुड़सवार सैनिक हुआ करते थे। उस जमाने में घुड़सवार सेना का मतलब होता था आज के जमाने में लड़ाकू विमानों का काफिला होना। पार्थियन घुड़सवार तेजी से दौड़ते हुए घोड़े पर बैठकर धनुष बाण से दुश्मन पर बिल्कुल सटीक निशाना लगाया करते थे। हालांकि, यह कला दुनिया के दूसरे कई देशों की सेनाओं में भी देखी जाती थी परंतु पार्थियन घुड़सवारों का पार्थियन शॉट सबसे अलग था।
युद्ध के दौरान पार्थियन घुड़सवार दुश्मन की सेना में सबसे कुशल घुड़सवार योद्धाओं की पहचान करते थे। फिर उसे युद्ध के लिए चुनौती देते थे और कुछ देर तक युद्ध करने का नाटक करके वापस भागने लगते थे। स्वाभाविक रूप से योद्धा उनका पीछा करता था। भागते हुए पार्थियन घुड़सवार दुश्मन के योद्धा को उसकी सेना से दूर ले आते थे। युद्ध क्षेत्र में किसी ऊंचाई पर पार्थियन का जासूस बैठा होता था। जब पीछा करता हुआ दुश्मन का योद्धा आत्मविश्वास के कारण लापरवाह हो जाता था तब ऊंचाई पर बैठा हुआ जासूस सैनिक एक इशारा करता था और दौड़ते हुए घोड़े पर बैठा हुआ पार्थियन योद्धा कमर से अपने शरीर को 180 डिग्री पीछे घुमाकर बाण चला देता था।
इस प्रकार एक ही झटके में दुश्मन के कुशल योद्धाओं को सफलतापूर्वक मार दिया जाता था। पार्थियन सैनिक दुश्मन से डरने का ड्रामा करते थे और उसे अपने जाल में फंसा कर पार्थियन शॉट के जरिए मार डालते थे। इस कला को दुनिया भर में इतना पसंद किया गया कि आज भी युद्ध के दौरान दुनिया के कई देश इसका उपयोग करते हैं।
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