जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने मानवाधिकार आयोग की उस अनुशंसा का पालन करने के लिए लास्ट डेट निर्धारित कर दी है जिसमें कलेक्टरों को निर्देशित किया गया है कि वह अनुभवी लेकिन अस्थाई कर्मचारियों को स्थाई पद पर समायोजित करें।
श्री आलोक कुमार श्रीवास्तव, फरजाना बेगम, वरुण विकास निखर, प्रियांश पाठक, अकाउंटेंट, भृत्य, सहायक ग्रेड 3, के पद विरुद्ध, मध्यप्रदेश मानवाधिकार आयोग के कंप्लेंट सेल में मंडला जिले में कलेक्टर दर पर कार्य कर रहे थे। आयोग में संबंधित कर्मचारियों की सेवाओं आवश्यकता नहीं होने के कारण, उनकी सेवाएं 31/5/2010 से समाप्त कर दी गई। मानव अधिकार आयोग ने मंडला एवं जबलपुर के कलेक्टरों को सिफारिश की थी कि याचिकाकर्ताओं को बैकलॉग के रिक्त पदों पर समायोजित कर दिया जाए परंतु दोनों जिलों के कलेक्टरों ने मानवाधिकार आयोग की सिफारिश पर कोई कार्यवाही नहीं की। संबंधित लोगों द्वारा उच्च न्यायालय जबलपुर के समक्ष रिट याचिका दायर कर अनुतोष मांगा गया था।
याचिका कर्ताओं की ओर से उच्च न्यायालय जबलपुर के वकील श्री अमित चतुर्वेदी ने हाईकोर्ट में तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा कि, मानवाधिकार आयोग की अनुशंसा के बावजूद याचिकाकर्ताओं की सेवाओं का समायोजन नहीं किया जाना, मंडला एवं जबलपुर जिले के कलेक्टरों का मनमाना रवैया है क्योंकि सामान्य प्रशासन विभाग की पॉलिसी के अनुसार भी याचिकाकर्ताओं को स्थाई कर्मचारी बनाया जा सकता है। सुनवाई के पश्चात उच्च न्यायालय जबलपुर ने कलेक्टर मंडला, जबलपुर को आयोग की सिफारिश के अनुसार कार्यवाही के निर्देश जारी किए हैं। उक्त कार्यवाही 60 दिन के अंदर की जानी है।
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