ग्वालियर। मध्यप्रदेश में इन दिनों विकास के हिसाब किताब की बात चल रही है। JAH के 1000 बिस्तर वाले अस्पताल के मीडिया ऑडिट में, यहां हुआ विकास लंगड़ा पाया गया। बिल्डिंग तो बन गई लेकिन बिस्तर नहीं है। कर्मचारी भी नहीं है। सफाई और सुरक्षा भी नहीं है। गंदगी से दीवारें लाल हो गई हैं। बाहर से विकास दिखता है लेकिन अंदर विकास बदबू मार रहा है।
GWALIOR TODAY- इसके लिए कोई डॉक्टर हड़ताल नहीं कर रहा
जेएएच अधीक्षक डा आरकेएस धाकड़ का एक बयान नई दुनिया में प्रकाशित हुआ है। डॉक्टर धाकड़ कह रहे हैं कि, हजार बिस्तर अस्पताल की सफाई और सुरक्षा के लिए शासन से साढ़े चार सौ कर्मचारियों की मांग की है लेकिन सरकार ने अभी तक एक भी कर्मचारी उपलब्ध नहीं कराया। मेडिकल वेस्ट व कचरा प्रतिदिन नहीं उठ रहा है। जगह-जगह कचरे के ढेर लग चुके हैं। संक्रमण फैलने का खतरा है। कितनी अजीब बात है, यदि इसी अस्पताल में किसी डॉक्टर के साथ किसी मरीज का तनावग्रस्त परिजन अभद्रता कर दे तो पूरे डॉक्टर हड़ताल पर चले जाते हैं परंतु उनकी पहचान JAH अस्पताल, कचरा घर बन गया है लेकिन उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। इसके लिए कोई डॉक्टर हड़ताल नहीं करता।
JAH GWALIOR- साफ-सफाई और सुरक्षा की परवाह किसी डॉक्टर को नहीं
मीडिया ट्रायल के दौरान पाया गया कि, अंचल का सबसे बड़ा हजार बिस्तर अस्पताल में लगे दागों की धुलाई सुबह के समय हुई लेकिन शाम होते होते फिर अस्पताल की सीढ़ियां गुटखा, पान, तंबाकू के पीक से लाल हो गईं। मेडिसिन वार्ड में अब भी मरीज जमीन पर लेटकर उपचार लेने को मजबूर है। JAH कैंपस में बिस्तर रखे हुए हैं लेकिन 800 मीटर की दूरी पर उन्हें उठाकर नहीं लाया जा रहा है। जूनियर डॉक्टर से लेकर पूरे मैनेजमेंट तक किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। यदि इन सारे इंतजामों के लिए राज्य प्रशासनिक सेवा के एक अधिकारी को नियुक्त कर दिया जाए तो सारे सीनियर डॉक्टर हड़ताल पर उतर आएंगे।
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